छत्तीसगढ़ में ट्रेन दुर्घटना: FIR दर्ज, जांच शुरू
दुर्घटना का विवरण
बिलासपुर/रायपुर, 6 नवंबर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में हुई एक दुखद ट्रेन दुर्घटना के बाद, पुलिस ने एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज की है। इस घटना में 11 लोगों की जान गई और 20 अन्य घायल हुए हैं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेंद्र जायसवाल के अनुसार, यह FIR टोरवा पुलिस स्टेशन में एक रेलवे अधिकारी के मेमो के आधार पर दर्ज की गई है।
यह दुर्घटना 4 नवंबर को गटौरा स्टेशन के पास हुई, जहां एक MEMU यात्री ट्रेन एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। इस टक्कर में 11 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई, जिनमें MEMU ट्रेन का लोको पायलट भी शामिल था।
राहत कार्य और जांच
राहत कार्य तुरंत शुरू किया गया और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भेजा गया। बिलासपुर के कलेक्टर संजय अग्रवाल के अनुसार, दो घायलों की हालत गंभीर है।
FIR भारतीय दंड संहिता की धारा 106(1) के तहत लापरवाही से मौत का कारण बनने, धारा 125(A) के तहत जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्यों, और रेलवे अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई है।
पुलिस की जांच रेलवे अधिकारियों द्वारा शुरू की गई जांच के समानांतर चलेगी। दक्षिण पूर्व सर्कल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त की अगुवाई में पांच सदस्यीय टीम ने दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है।
जांच की प्रक्रिया
यह टीम 6 और 7 नवंबर को रेलवे स्टाफ और गवाहों सहित 19 व्यक्तियों से पूछताछ करने की योजना बना रही है, ताकि घटनाओं के क्रम को समझा जा सके और प्रोटोकॉल या संचार में किसी भी चूक की पहचान की जा सके।
रेलवे विभाग के सूत्रों ने MEMU ट्रेन के लोको पायलट की भूमिका पर चिंता जताई है, जो दुर्घटना से एक महीने पहले ही एक स्थानीय ट्रेन का संचालन करने के लिए पदोन्नत हुआ था।
जांचकर्ता यह देख रहे हैं कि क्या अनुभव की कमी या प्रक्रियात्मक त्रुटियों ने टक्कर में योगदान दिया।
सुरक्षा मानकों पर सवाल
यह त्रासदी रेलवे सुरक्षा मानकों और संचालन की निगरानी पर फिर से सवाल उठाती है, विशेष रूप से बिलासपुर जैसे उच्च यातायात क्षेत्रों में।
जैसे-जैसे पुलिस और रेलवे अधिकारी कारणों की गहराई में जाते हैं, पीड़ितों के परिवार जवाब और जिम्मेदारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि घटना के सभी पहलुओं - मानव त्रुटि, सिग्नलिंग सिस्टम, और संचार प्रोटोकॉल - की पूरी तरह से जांच की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचा जा सके।
इन दोहरी जांचों का उद्देश्य न केवल जिम्मेदारी स्थापित करना है, बल्कि रेलवे नेटवर्क में सुरक्षा तंत्र को भी मजबूत करना है।