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छत्तीसगढ़ ने चीन को भेजी तांबे की सबसे बड़ी खेप, वैश्विक व्यापार में नई पहचान

छत्तीसगढ़ ने 12,000 मीट्रिक टन तांबा चीन को निर्यात कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह कदम राज्य को वैश्विक व्यापार के मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स केंद्र के रूप में स्थापित करता है। मुख्यमंत्री ने इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है। जानें कैसे छत्तीसगढ़ ने खनिज संसाधनों में अपनी पहचान बनाई है और इसके विकास की कहानी क्या है।
 

छत्तीसगढ़ का नया कीर्तिमान

तांबा ही नहीं, टिन में भी छत्तीसगढ़ का जलवा

छत्तीसगढ़ ने 12,000 मीट्रिक टन कॉपर कॉन्सेंट्रेट का निर्यात करके एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। यह खेप नवा रायपुर के मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) से भेजी गई। राज्य के अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से छत्तीसगढ़ वैश्विक व्यापार के मानचित्र पर एक उभरते हुए लॉजिस्टिक्स केंद्र के रूप में उभरा है। इस लॉजिस्टिक्स पार्क की सुविधाएं मध्य भारत के उद्योगों को उपलब्ध होंगी। 11 नवंबर को 2,200 मीट्रिक टन कॉपर का पहला रेक विशाखापत्तनम बंदरगाह से समुद्री मार्ग से चीन के लिए रवाना किया गया, और अन्य खेप भी विभिन्न चरणों में भेजी जा रही हैं.


छत्तीसगढ़ का खनिज संसाधनों में योगदान

तांबा ही नहीं, टिन में भी छत्तीसगढ़ का जलवा

छत्तीसगढ़ केवल तांबे के निर्यात तक सीमित नहीं है। यह राज्य खनिज संसाधनों में हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। छत्तीसगढ़ भारत का एकमात्र टिन उत्पादक राज्य है, जहां देश का 100 प्रतिशत टिन का उत्पादन होता है।

राज्य के दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों में टिन अयस्क के बड़े भंडार हैं, जो भारत के कुल टिन अयस्क भंडार का लगभग 36 प्रतिशत हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि टिन इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरणों, सोलर पैनल और आधुनिक मशीनरी के निर्माण में आवश्यक है.


खनिज आय में अभूतपूर्व वृद्धि

25 सालों में 34 गुना बढ़ी खनिज आय

राज्य की प्रगति हाल के वर्षों की नहीं है, बल्कि यह एक लंबी यात्रा का परिणाम है। पिछले 25 वर्षों में, छत्तीसगढ़ के खनन क्षेत्र ने अद्वितीय विकास देखा है। वर्ष 2000 में, जब छत्तीसगढ़ का गठन हुआ, तब इसका खनिज राजस्व केवल 429 करोड़ रुपये था, जो अब 14,592 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

इसके अलावा, खनन क्षेत्र अब राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। यह आर्थिक वृद्धि पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलन बनाए रखते हुए हासिल की गई है। राज्य सरकार ने हाल ही में ‘छत्तीसगढ़ राज्य लॉजिस्टिक्स नीति 2025’ भी शुरू की है, जिसका उद्देश्य 2047 तक छत्तीसगढ़ को देश के प्रमुख लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक केंद्र में बदलना है.


आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस निर्यात को ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है। उन्होंने कहा कि “छत्तीसगढ़ से तांबे का यह ऐतिहासिक निर्यात केवल एक व्यापारिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक साहसिक कदम है।” उनके अनुसार, राज्य की नीतियां, औद्योगिक ताकत और निवेशकों का विश्वास मिलकर छत्तीसगढ़ को लॉजिस्टिक्स और खनिज विकास के लिए देश के अग्रणी राज्यों में से एक बना रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य का विकास मॉडल केवल आर्थिक विस्तार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पर्यावरण की स्थिरता और स्थानीय रोजगार सृजन को भी प्राथमिकता दी गई है। आधुनिक बुनियादी ढांचे और रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ, छत्तीसगढ़ अब न केवल भारत का लॉजिस्टिक्स और खनिज पावरहाउस बनने के लिए तैयार है, बल्कि वैश्विक व्यापार में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरने की क्षमता रखता है.