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छत्तीसगढ़ की चंचल पैकरा: सब्जी बेचने वाले माता-पिता की बेटी बनी टॉपर

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की चंचल पैकरा ने अपने माता-पिता की मेहनत और त्याग से प्रेरित होकर CGPSC परीक्षा में टॉप किया है। सब्जी बेचने वाले दंपति की बेटी ने कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता की नई ऊँचाइयाँ हासिल की हैं। उनकी कहानी न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह आदिवासी युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई है। जानें चंचल की मेहनत और संघर्ष की कहानी।
 

एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी

चंचल पैकरा Image Credit source: Jashpur District Administration


छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जिसने यह सिद्ध कर दिया है कि कठिनाइयाँ भी मजबूत इरादों को नहीं रोक सकतीं। सब्जी बेचकर और खेतों में मेहनत करके अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले एक साधारण दंपति की बेटी, चंचल पैकरा ने वह कर दिखाया है, जिसका सपना कई युवा देखते हैं। माता-पिता ने अपनी जमीन बेचकर चंचल की शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया, और उसने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग परीक्षा 2024 में एसटी वर्ग में टॉप कर अपने परिवार का नाम रोशन किया। उनकी यह उपलब्धि आदिवासी युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।


सब्जी बेचने वाले दंपति की बेटी बनी अफसर

सरगुजा के सीतापुर में रहने वाले रघुबीर पैकरा और उनकी पत्नी कुंती-ला रोज सड़क किनारे सब्जियां बेचकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं। कुछ साल पहले, उन्होंने अपनी बेटी चंचल की शिक्षा के लिए अपनी जमीन का एक बड़ा हिस्सा बेच दिया था, क्योंकि वह सिविल सेवा में जाना चाहती थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति कठिन थी, लेकिन उन्होंने कभी भी बेटी की शिक्षा में रुकावट नहीं आने दी।


हाल ही में, 23 वर्षीय चंचल ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) परीक्षा 2024 में एसटी वर्ग में पहला स्थान और ओवरऑल 204वीं रैंक हासिल की। अब वह डिप्टी कलेक्टर के रूप में अपनी नई नौकरी शुरू करेंगी। रघुबीर ने बताया कि चंचल हमेशा से मेधावी रही है और वे चाहते थे कि उसे अवसरों की कमी का सामना न करना पड़े।


चंचल की मेहनत और संघर्ष की कहानी

काराबेल गांव में पली-बढ़ी चंचल ने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल से शुरू की और बाद में एकलव्य विद्यालय में पढ़ाई की। दसवीं और बारहवीं कक्षा में वह अपनी कक्षा में प्रथम रहीं। इसके बाद, उन्होंने जगदलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया। राज्य सेवाओं की तैयारी के लिए वह बिलासपुर चली गईं।


पहले प्रयास में वह प्रारंभिक परीक्षा पास नहीं कर पाईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। तीन वर्षों के कठिन संघर्ष के बाद, उन्होंने प्रिलिम्स, मेंस और इंटरव्यू में सफलता प्राप्त की। चंचल का कहना है कि माता-पिता की मेहनत और त्याग ही उनके सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत रहे हैं।


युवाओं को चंचल की सलाह

चंचल आदिवासी युवाओं को सलाह देती हैं कि वे अपनी परिस्थितियों को कमजोरी न समझें। कम बोलने या सीमित संसाधनों के कारण निराश होने के बजाय, अपनी स्थिति को प्रेरणा बनाएं। लगातार मेहनत और आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है।


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