चेन्नई में पुलिसकर्मी की टिप्पणी से भड़की बहस: महिला और कुत्तों का मामला
महिला और पुलिसकर्मी के बीच विवाद
चेन्नई के थिरुवनमियूर समुद्र तट पर एक महिला और एक पुलिस कांस्टेबल के बीच रात के समय हुई बहस ने stray dog प्रबंधन और महिलाओं की सुरक्षा पर नई बहस को जन्म दिया है। महिला, जो पिछले 20 वर्षों से समुद्र तट पर stray dogs को खाना खिला रही हैं, ने कांस्टेबल कार्तिक से बहस की, जब उन्होंने उन्हें ऐसा करने से रोका। उनका तर्क था कि अगर खाना नहीं दिया गया, तो कुत्ते आना बंद कर देंगे।
महिला का जवाब और प्रशासन की लापरवाही
महिला, जो पशु कल्याण कार्य में सक्रिय हैं, ने कहा कि कुत्तों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि प्रशासन की लापरवाही और नसबंदी कार्यक्रम (ABC) में कमियां हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग जानबूझकर कुत्तों को समुद्र तट पर छोड़ देते हैं।
पुलिसकर्मी की विवादास्पद टिप्पणी
महिला ने अपने चचेरे भाई के साथ मई में हुई छेड़छाड़ की घटना का जिक्र किया, जिसके बाद कांस्टेबल ने न केवल असंवेदनशील टिप्पणी की, बल्कि महिला को भी दोषी ठहराया, यह कहते हुए कि "अगर आप मध्यरात्रि में समुद्र तट पर चलेंगी, तो ऐसा होना तय है।" उन्होंने यह भी कहा कि कुत्तों को खाना खिलाने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया। महिलाओं के अधिकारों के कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने कांस्टेबल की सोच की निंदा की, इसे पीड़िता को दोष देने की मानसिकता का उदाहरण बताया।
प्रशासन की विफलता पर प्रकाश
महिला ने पूरे विवाद के दौरान प्रशासन की विफलता को उजागर किया, यह कहते हुए कि नगर निकाय न तो कुत्तों की नसबंदी कर रहे हैं और न ही उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर छोड़ने से रोकने के लिए कोई कदम उठा रहे हैं।
पुलिसकर्मी का स्पष्टीकरण
बाद में, कांस्टेबल कार्तिक ने स्पष्ट किया कि उनका इरादा केवल महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करना था, लेकिन वायरल वीडियो में उन्हें धमकी भरे अंदाज में देखा गया, जिससे उनके बयानों पर सवाल उठने लगे।
सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश
यह विवाद उस समय उठ रहा है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में बदलाव किया है और नसबंदी किए गए कुत्तों को छोड़ने की अनुमति दी है, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर उन्हें खाना खिलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी को नगर निकाय के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।