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चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों का किया खंडन, कहा सभी दल समान

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए 'वोट चोरी' के आरोपों का चुनाव आयोग ने खंडन किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सभी राजनीतिक दलों के लिए समानता की बात करते हुए कहा कि आयोग किसी भी दल के प्रति पक्षपाती नहीं है। उन्होंने 'वोट चोरी' जैसे शब्दों को संविधान का अपमान बताया और सत्यापन प्रक्रिया में पारदर्शिता की पुष्टि की। यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर विवाद चल रहा है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया।
 

चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी द्वारा 'वोट चोरी' और 'चुनाव चुराने' के आरोपों के संदर्भ में, चुनाव आयोग ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इन आरोपों का खंडन करते हुए आयोग की निष्पक्षता पर जोर दिया।


सभी दलों के लिए समानता

ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग न तो विपक्ष को देखता है और न ही सत्ताधारी दल को, बल्कि सभी को समान रूप से देखता है। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुसार, 18 वर्ष से ऊपर के हर नागरिक को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। चूंकि सभी राजनीतिक दल चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं, इसलिए उनके बीच भेदभाव का कोई सवाल नहीं उठता। उन्होंने कहा, 'चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है और न ही कोई सत्ताधारी दल, सभी समान हैं, और आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्यों से पीछे नहीं हटेगा।'


'वोट चोरी' शब्दों पर आपत्ति

ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि कुछ नेता मतदाताओं को गलत जानकारी देकर और भय फैलाकर गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने 'वोट चोरी' जैसे शब्दों को संविधान का अपमान बताया।


पारदर्शिता और सत्यापन प्रक्रिया

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं और सत्यापन प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि मतदाता, राजनीतिक दल और बूथ स्तर के अधिकारी मिलकर सत्यापन, हस्ताक्षर और वीडियो प्रशंसापत्र भी दे रहे हैं।


सत्यापित दस्तावेजों की चिंता

ज्ञानेश कुमार ने चिंता व्यक्त की कि जिला पार्टी अध्यक्षों और नामित बीएलओ द्वारा भेजे गए सत्यापित दस्तावेज़ और प्रशंसापत्र या तो उनके राज्य या राष्ट्रीय नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं, या फिर जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह भ्रम फैलाने के लिए किया जा रहा है।


विपक्ष का आरोप

चुनाव आयोग का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर विवाद जारी है और विपक्ष इसे मतदाताओं के अधिकारों का हनन बता रहा है।