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चुनाव आयोग ने राहुल गांधी की मांग को किया खारिज, गोपनीयता का किया हवाला

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज साझा करने की मांग की थी, जिसे आयोग ने गोपनीयता और कानूनी बाधाओं का हवाला देते हुए खारिज कर दिया। आयोग ने कहा कि ऐसा करना मतदाताओं की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि फुटेज साझा करने से असामाजिक तत्वों द्वारा मतदाताओं पर दबाव डाला जा सकता है। इस निर्णय ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा के बीच संतुलन को लेकर बहस को जन्म दिया है।
 

चुनाव आयोग का निर्णय

कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की मांग पर चुनाव आयोग ने शनिवार को मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज साझा करने से इनकार कर दिया। आयोग ने गोपनीयता और कानूनी बाधाओं का हवाला देते हुए कहा कि यह कदम मतदाताओं की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से महाराष्ट्र सहित सभी राज्यों के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए एक समेकित, डिजिटल, मशीन-पठनीय मतदाता सूची जारी करने की अपील की थी, यह कहते हुए कि इससे आयोग की विश्वसनीयता में वृद्धि होगी।


 


चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया


चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदान केंद्रों से वीडियो या सीसीटीवी फुटेज का सार्वजनिक करना मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा को कमजोर कर सकता है, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है। आयोग ने कहा, "यह मांग, जिसे तार्किक बताया जा रहा है, वास्तव में मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा से संबंधित चिंताओं के विपरीत है।"


 


मतदाताओं की पहचान का खतरा


आयोग ने आगे कहा कि यदि फुटेज साझा किया जाता है, तो किसी भी समूह या व्यक्ति द्वारा मतदाताओं की पहचान करना आसान हो जाएगा। इससे वोट देने वाले और न देने वाले मतदाताओं पर असामाजिक तत्वों द्वारा दबाव, भेदभाव और धमकी का खतरा बढ़ जाएगा। आयोग ने चेतावनी दी कि यदि किसी राजनीतिक दल को किसी विशेष बूथ पर कम वोट मिलते हैं, तो वह सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से यह जान सकेगा कि किस मतदाता ने वोट दिया और किसने नहीं, जिससे मतदाताओं को परेशान किया जा सकता है।