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चीन ने भारत से मांगी मदद, जिनपिंग का सीक्रेट लेटर हुआ सार्वजनिक

चीन ने अमेरिका के खिलाफ व्यापार युद्ध में मदद के लिए भारत से संपर्क किया है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग का एक गुप्त पत्र सामने आया है, जिसमें उन्होंने भारत के सहयोग की अपील की है। पत्र में ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ से निपटने की रणनीति साझा की गई है। भारत ने इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन हाल ही में दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। जानिए इस पत्र में और क्या जानकारी दी गई है और ट्रंप की गलतियों का क्या प्रभाव पड़ा।
 

चीन की भारत से मदद की अपील

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए चीन ने भारत से सहायता मांगी थी। इसके लिए, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मार्च 2025 में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक गुप्त पत्र लिखा, जिसका हाल ही में खुलासा हुआ है। एक प्रमुख मीडिया चैनल ने इस पत्र की जानकारी दी है, जिसमें जिनपिंग ने अमेरिका के खिलाफ व्यापार युद्ध में भारत के सहयोग का आह्वान किया।


जिनपिंग का पत्र और उसके उद्देश्य

जिनपिंग ने पत्र में ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ से निपटने की रणनीति साझा की और दोनों देशों के संबंधों को सुधारने की दिशा में काम करने का सुझाव दिया। पत्र में एक व्यक्ति का उल्लेख किया गया है, जिसे जिनपिंग ने समझौते में महत्वपूर्ण बताया, लेकिन उस व्यक्ति की पहचान का खुलासा नहीं किया गया।


भारत की चुप्पी और चीन के साथ संबंध

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जून 2025 तक इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी। जब दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध समाप्त हुआ, तब भारत ने चीन के साथ संबंध सुधारने की चीनी पहल पर प्रतिक्रिया दी। इसके तहत, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल चीन गए, जबकि चीन के विदेश मंत्री वांग यी नई दिल्ली आए।


ट्रंप की गलतियों का प्रभाव

विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप ने दो महत्वपूर्ण गलतियाँ की, जिससे भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार हुआ। एक तो उन्होंने भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर विवादास्पद बयान दिए, जिससे भारत नाराज हुआ। इसके बाद, ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही, जिससे भारत और अमेरिका के रिश्ते बिगड़ गए। इस स्थिति का परिणाम यह हुआ कि भारत और चीन के बीच कूटनीतिक वार्ता शुरू हुई और दोनों देश व्यापार के लिए आगे बढ़ने लगे।