चीन और रूस का संयुक्त युद्धाभ्यास: जापान सागर में बढ़ी तनाव की स्थिति
चीन और रूस का युद्धाभ्यास
चीन और रूस मिलकर जापान सागर में युद्धाभ्यास कर रहे हैं, जो 2012 के बाद से पहला मौका है जब दोनों देश एक साथ वॉर ड्रिल कर रहे हैं। इस संयुक्त अभ्यास के चलते जापान ने हाईअलर्ट जारी किया है, जबकि अमेरिका के लिए यह एक चुनौती बन गई है। इस ड्रिल में चीन ने 2 एयरक्राफ्ट कैरियर और 10 वॉरशिप शामिल किए हैं, वहीं रूस ने 12 वॉरशिप और 5 परमाणु पनडुब्बियाँ तैनात की हैं।
क्षेत्रीय तनाव और अमेरिका की प्रतिक्रिया
इस युद्धाभ्यास के कारण ताइवान, फिलीपींस और जापान में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि रूस-चीन के वॉरशिप इन देशों की समुद्री सीमाओं के करीब पहुँच रहे हैं। ताइवान के एयरस्पेस में चीनी फाइटर जेट्स की घुसपैठ के बाद, ताइवान ने अमेरिका से मदद की गुहार लगाई है। अमेरिका ने अपनी फ्लीट को जापान सागर की ओर भेजने का निर्णय लिया है, जिससे चीन-रूस के साथ संभावित टकराव की स्थिति बन सकती है।
रूस की सैन्य तैयारियों पर नाटो देशों की चिंता
रूस की सैन्य गतिविधियों से नाटो देशों में हड़कंप मचा हुआ है। फ्रांस ने चेतावनी दी है कि रूस 2030 तक यूरोप में बड़ा हमला कर सकता है, जिसमें परमाणु विस्फोट की संभावना भी है। यूक्रेन ने भी कहा है कि यदि उसे समय पर सहायता नहीं मिली, तो तबाही का दायरा बढ़ सकता है। रूस की लॉन्ग रेंज हथियारों के उत्पादन में तेजी से यह चिंता और बढ़ गई है।
अमेरिका की धमकी और रूस की प्रतिक्रिया
अमेरिका के राष्ट्रपति ने रूस के समुद्री अतिक्रमण को आक्रमण की तरह देखा है और रूस को पलटवार के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका हर परिस्थिति के लिए तैयार है और अपनी न्यूक्लियर सबमरीन को समुद्री क्षेत्र में तैनात किया है। रूस ने इस धमकी को गंभीरता से लिया है और अपनी सैन्य तैनाती को बढ़ा दिया है।