चाय के औषधीय गुण: जानें विभिन्न प्रकार की चाय और उनके लाभ
चाय का ऐतिहासिक उपयोग
कम ही लोग जानते हैं कि चाय का पहला उपयोग औषधि के रूप में हुआ था। जड़ी-बूटियों के विशेषज्ञ समय-समय पर चाय की ताजा पत्तियों और बीजों का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिए करते रहे हैं। समय के साथ, चाय हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई और यह दिन की शुरुआत में सबसे पहले पी जाने वाला पेय बन गया। संतुलित मात्रा में औषधीय गुणों वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
गौती चाय
बुंदेलखंड में ग्रामीण लोग गौती चाय बनाते हैं, जिसमें हल्की नींबू की सुगंध होती है। इसे बनाने के लिए लेमन ग्रास की तीन पत्तियों को कुचलकर दो कप पानी में उबाला जाता है। स्वाद के अनुसार शक्कर मिलाकर इसे तब तक उबाला जाता है जब तक यह एक कप न रह जाए। अदरक का स्वाद पसंद करने वाले लोग इसमें एक चुटकी अदरक भी डाल सकते हैं। गौती चाय में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर में संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
काली चाय
काली चाय बिना दूध के बनाई जाती है और इसमें मिठास होती है। इसे बनाने के लिए 2 कप पानी में एक चम्मच चाय की पत्ती और 3 चम्मच शक्कर डालकर उबाला जाता है। जब चाय लगभग एक कप रह जाती है, तो इसे छानकर परोसा जाता है। हर्बल विशेषज्ञों के अनुसार, यह चाय तनाव को कम करने में मदद करती है।
धनिया चाय
राजस्थान के कई हिस्सों में धनिया चाय का सेवन स्वास्थ्य सुधार के लिए किया जाता है। इसे बनाने के लिए 2 कप पानी में जीरा, धनिया, चायपत्ती और सौंफ डालकर 2 मिनट तक उबाला जाता है। आवश्यकतानुसार शक्कर या शहद मिलाकर इसे और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। यह चाय गले की समस्याओं और अपचन के लिए फायदेमंद होती है।
अनंतमूली चाय
पातालकोट में आदिवासी लोग सर्दियों में अनंतमूली चाय का सेवन करते हैं। इसकी जड़ें निकालकर लगभग 1 ग्राम को पानी में उबाला जाता है, फिर इसमें चाय की पत्तियाँ मिलाई जाती हैं। यह चाय दमा और सांस की बीमारियों के लिए लाभकारी होती है।
खट्टी गौती चाय
मध्य भारत के गोंडवाना क्षेत्र में खट्टी गौती चाय बनाई जाती है, जिसमें संतरे या नींबू के छिलके और नींबू का रस मिलाया जाता है। यह चाय एंटी-एजिंग गुणों से भरपूर होती है और नियमित सेवन से यौवन को बनाए रखने में मदद करती है।
मुलेठी चाय
गुजरात के सौराष्ट्र में जेठीमद चाय के नाम से जानी जाने वाली मुलेठी चाय, सर्दी और खांसी से राहत दिलाने में मदद करती है। इसे साधारण चाय में मुलेठी मिलाकर बनाया जाता है।
सैदी या मीठी चाय
बस्तर के गांवों में शहद के साथ बनाई जाने वाली इस चाय को सैदी चाय कहा जाता है। इसे साधारण चाय पत्ती, शहद और दूध के साथ बनाया जाता है। यह चाय शरीर में ऊर्जा लाने में मदद करती है।
मसाला चाय
गुजरात में मसाला चाय बनाने के लिए काली मिर्च, तुलसी, दालचीनी, और अन्य मसालों का मिश्रण तैयार किया जाता है। इसे चाय पत्ती और दूध के साथ उबाला जाता है, जिससे यह स्वादिष्ट और ताजगी से भरपूर बनती है।