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चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव: निवेशकों के लिए क्या है भविष्य?

चांदी की कीमतों में हालिया उतार-चढ़ाव ने निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। 2025 में चांदी ने 50 डॉलर प्रति औंस का स्तर पार किया, लेकिन हाल में कीमतों में गिरावट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की रैली अभी खत्म नहीं हुई है और भविष्य में कीमतें और बढ़ सकती हैं। जानें, क्या निवेशकों को इस समय निवेश करना चाहिए और क्या संभावनाएं हैं।
 

चांदी की कीमतों में हालिया बदलाव

चांदी की कीमत

जब भी कीमती धातुओं की चर्चा होती है, चांदी का नाम जरूर आता है। वर्ष 2025 में चांदी ने निवेशकों को आश्चर्यचकित करने वाली वृद्धि दिखाई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी ने 2011 के बाद पहली बार 50 डॉलर प्रति औंस का स्तर पार किया, जिससे घरेलू बाजार में भी कीमतों को मजबूती मिली। इस वर्ष चांदी ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है, जिससे उनकी रुचि फिर से बढ़ती नजर आ रही है।

हालांकि, सोमवार को चांदी की कीमतों में थोड़ी गिरावट आई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, चांदी की कीमतें अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से 8.28 प्रतिशत गिर गई हैं। इसका मतलब है कि लगभग 3 घंटे में चांदी के दाम में 21 हजार रुपये से अधिक की कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार, सुबह 9:02 बजे चांदी के दाम 2,54,174 रुपये के साथ अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचे थे। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी वृद्धि के बाद छोटे सुधार आना स्वाभाविक है। मुनाफावसूली और वैश्विक स्तर पर कुछ अनिश्चितताओं के कारण कीमतों में हल्की गिरावट आई है, लेकिन इससे मौजूदा प्रवृत्ति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है.

चांदी में संभावित तेजी

कमोडिटी मार्केट के विशेषज्ञ अजय केडिया का मानना है कि चांदी की यह रैली अभी खत्म नहीं हुई है। उनके अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में 50 डॉलर के स्तर पर टिकना चांदी के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। शॉर्ट टर्म में चांदी 75 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। अजय केडिया का कहना है कि यदि लंबी अवधि को ध्यान में रखा जाए, तो चांदी और भी ऊंचे स्तर पर जा सकती है। उनका अनुमान है कि अगले दो वर्षों में चांदी 100 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है, हालांकि इस दौरान कुछ सुधार भी आएंगे।

घरेलू बाजार में संभावित वृद्धि

घरेलू बाजार के संदर्भ में, अजय केडिया का मानना है कि भारत में चांदी की कीमतें लंबी अवधि में 3 से 4 लाख रुपये प्रति किलो तक जा सकती हैं। उनका अनुमान है कि वर्ष 2026 तक चांदी 3 लाख रुपये का आंकड़ा पार कर सकती है, बशर्ते निवेशक धैर्य बनाए रखें और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से निवेश करें। जब किसी कमोडिटी में तेजी आती है, तो उसके विकल्पों की तलाश शुरू हो जाती है। इसलिए निवेशकों को एकमुश्त निवेश करने के बजाय चरणबद्ध तरीके से निवेश करना चाहिए और जोखिम को समझते हुए निर्णय लेना चाहिए.