चंडीगढ़ के प्रशासनिक दर्जे में बदलाव का प्रस्ताव: पंजाब में राजनीतिक हलचल
केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के प्रशासनिक दर्जे में बदलाव के लिए संविधान (131वां संशोधन) बिल, 2025 का प्रस्ताव रखा है, जिससे पंजाब में राजनीतिक हलचल मच गई है। सभी प्रमुख दलों ने इस कदम को पंजाब के अधिकारों पर हमला बताया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान और अन्य नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह पंजाब की राजधानी पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है। इस प्रस्ताव के तहत चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के दायरे में लाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे राष्ट्रपति को शहर के लिए नियम बनाने का अधिकार मिलेगा। जानें इस मुद्दे पर सभी दलों की प्रतिक्रियाएँ।
Nov 23, 2025, 13:47 IST
संविधान संशोधन का प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के प्रशासनिक दर्जे में बदलाव के लिए संविधान (131वां संशोधन) बिल, 2025 पेश करने का निर्णय लिया है। इस कदम पर पंजाब में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल सहित सभी राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
आर्टिकल 240 के तहत नियंत्रण
इस बिल का मुख्य उद्देश्य चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 240 के अंतर्गत लाना है।
आर्टिकल 240 राष्ट्रपति को चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सीधे नियम बनाने और कानून लागू करने का अधिकार प्रदान करता है, जो संसद के कानूनों के समान प्रभावी होते हैं।
इस संशोधन के बाद, चंडीगढ़ बिना विधानसभा वाले अन्य केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार) के समान हो जाएगा। इससे राष्ट्रपति को शहर के लिए नियम बनाने और संभवतः एक स्वतंत्र प्रशासक नियुक्त करने का अधिकार मिल जाएगा। वर्तमान में, चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के गवर्नर के अधीन है, जो 1984 से लागू है।
पंजाब की राजनीतिक प्रतिक्रिया
पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव को पंजाब के अधिकारों पर हमला और राजधानी छीनने की साजिश करार दिया है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे 'बहुत बड़ा अन्याय' बताते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की एनडीए सरकार पंजाब की राजधानी पर 'कब्जा' करने की योजना बना रही है।
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह निर्णय 'फेडरल स्ट्रक्चर को तोड़ता है' और पंजाब के संवैधानिक अधिकारों पर हमला है। उन्होंने स्पष्ट किया, 'चंडीगढ़ पंजाब का है और हमेशा रहेगा।'
सुखबीर सिंह बादल ने इस कानून को 'पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला' बताते हुए केंद्र पर धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने याद दिलाया कि केंद्र ने 1970 में चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने के लिए सहमति दी थी, लेकिन यह वादा कभी पूरा नहीं हुआ।
कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने इस कदम को 'पूरी तरह से गैर-जरूरी' बताया और चेतावनी दी कि चंडीगढ़ को पंजाब से 'छीनने' के गंभीर परिणाम होंगे। कांग्रेस ने संसद में इस बिल का कड़ा विरोध करने का संकल्प लिया है।
ओवरसीज पंजाबी एसोसिएशन ने भी इस प्रस्ताव को चंडीगढ़ पर पंजाब के ऐतिहासिक दावों के प्रति असंवेदनशील बताया है। पंजाब की सभी पार्टियों ने एकजुट होकर कहा है कि चंडीगढ़ पंजाब की सही राजधानी है और वे संविधान (131वां संशोधन) बिल का हर स्तर पर विरोध करेंगे।