घर के मंदिर में मूर्तियों की स्थापना के लिए वास्तु शास्त्र के नियम
मंदिर में मूर्तियों का महत्व
हिंदू धर्म में घर का मंदिर एक अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। पूजा-पाठ से जुड़े कई नियम और मान्यताएं हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है। इनमें से एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि घर के मंदिर में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक ही देवी-देवता की एक से अधिक मूर्तियां या तस्वीरें एक साथ नहीं रखनी चाहिए। विशेष रूप से, कुछ देवी-देवताओं की दो मूर्तियों का एक साथ होना गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है, जिससे अशुभ परिणाम हो सकते हैं। यदि आप भी यह गलती कर रहे हैं, तो इसे तुरंत सुधारें, क्योंकि यह आपके घर की सुख-शांति और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
एक ही देवता की दो मूर्तियां रखने के नुकसान
पूजा में एकाग्रता में कमी: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक ही भगवान की कई मूर्तियों से पूजा के दौरान एकाग्रता भंग होती है। भक्त का ध्यान बंट जाता है, जिससे पूजा का संपूर्ण फल नहीं मिल पाता है.
ऊर्जा का असंतुलन: हर मूर्ति एक विशेष ऊर्जा का संचार करती है। एक ही ऊर्जा की दो या अधिक प्रतिमाएं एक ही स्थान पर रखने से ऊर्जा का असंतुलन पैदा होता है, जिससे घर में अशांति और तनाव बढ़ सकता है.
वास्तु दोष की आशंका: कुछ विशेष देवी-देवताओं, जैसे शिवलिंग या गणेश जी की एक से अधिक मूर्तियां एक ही मंदिर में स्थापित करने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है, जो धन हानि और गृह-क्लेश का कारण बन सकता है.
कौन सी मूर्तियों को एक साथ नहीं रखना चाहिए?
एक से अधिक शिवलिंग: घर के मंदिर में एक से अधिक शिवलिंग रखना अशुभ माना जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है.
एक से अधिक गणेश प्रतिमाएं: भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है, लेकिन वास्तु के अनुसार, घर के मंदिर में गणेश जी की दो से अधिक मूर्तियां नहीं होनी चाहिए.
आमने-सामने मूर्तियां: यदि आपके मंदिर में एक ही भगवान की दो तस्वीरें या मूर्तियां हैं, तो उन्हें आमने-सामने न रखें, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
एक से अधिक शालिग्राम: घर में दो शालिग्राम भगवान की मूर्तियां एक साथ नहीं रखनी चाहिए, इससे घर की सुख-शांति भंग हो सकती है.
यदि पहले से रखी हैं दो मूर्तियां, तो क्या करें?
अलग-अलग दिशा में स्थापित करें: यदि एक ही भगवान की दो मूर्तियां हैं, तो उनके मुख की दिशा को अलग-अलग कर दें.
अलग स्थान पर रखें: यदि मूर्तियां छोटी हैं, तो उनमें से एक को मंदिर से हटाकर घर के किसी अन्य पवित्र स्थान पर स्थापित करें.
दान करें: आप किसी दूसरी प्रतिमा को श्रद्धापूर्वक किसी अन्य मंदिर में दान कर सकते हैं या किसी जरूरतमंद भक्त को दे सकते हैं.