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ग्रो के शेयरों में गिरावट: जानें इसके पीछे के कारण

ग्रो (Groww) के शेयरों में हाल ही में पहली बार गिरावट आई है, जिसमें 10% का लोअर सर्किट लगा। लिस्टिंग के बाद से शेयर में जबरदस्त तेजी देखी गई थी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अब निवेशक थकान महसूस कर रहे हैं। इस लेख में हम गिरावट के पीछे के तीन प्रमुख कारणों का विश्लेषण करेंगे, जिसमें भारी मांग, सीमित शेयरों की उपलब्धता, और अत्यधिक वैल्यूएशन शामिल हैं। जानें कि निवेशकों को इस स्थिति में क्या करना चाहिए।
 

ग्रो के शेयरों में पहली बार आई गिरावट


नई दिल्ली: फिनटेक कंपनी ग्रो (Groww) के शेयरों में बुधवार को पहली बार गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान शेयर में 10% का लोअर सर्किट लगा, और यह 169.94 रुपये पर बंद हुआ। लिस्टिंग के बाद से इस शेयर में काफी तेजी देखी गई थी, और एक समय यह आईपीओ प्राइस से 90% से अधिक बढ़ गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट संभवतः इस कारण आई है कि शेयर की कीमत बहुत अधिक हो गई है और निवेशक अब थकान महसूस कर रहे हैं।

मेहनत इक्विटीज के प्रशांत तापसे ने कहा कि लिस्टिंग के बाद से शेयर में काफी तेजी आई है और अब इसकी कीमत बहुत अधिक लग रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि जो निवेशक थोड़ी मुनाफा कमाना चाहते हैं, उन्हें कुछ शेयर बेचकर आंशिक मुनाफा बुक कर लेना चाहिए। वहीं, वाटरफील्ड एडवाइजर्स के सीनियर डायरेक्टर विपुल भौवर ने कहा कि आज के डिजिटल युग में डिस्काउंट-ब्रोकिंग का क्षेत्र अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है और इस पर कड़े नियम लागू होते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सेबी छोटे निवेशकों के लिए कोई नया नियम लाता है, तो इन कंपनियों की कमाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

शेयर में गिरावट के तीन प्रमुख कारण

ग्रो (Groww) के शेयर की लिस्टिंग के बाद से इसकी चाल में काफी उतार-चढ़ाव रहा है। लिस्टिंग के शुरुआती दिनों में शेयर ने तेजी से वृद्धि की, लेकिन फिर अचानक गिरकर लोअर सर्किट पर आ गया। कंपनी के शेयर में गिरावट के तीन मुख्य कारण हैं।

1. लिस्टिंग के बाद भारी मांग: लिस्टिंग के तुरंत बाद शेयर में भारी खरीदारी हुई। जैसे ही ग्रो का शेयर बाजार में आया, निवेशकों ने इसे हाथों-हाथ लिया। तापसे के अनुसार, शुरुआती तेजी का कारण जबरदस्त मांग और ट्रेडर्स की भीड़ थी, जो जल्दी से पैसा लगाना चाहते थे। निवेशक ग्रो को उसके मार्केट शेयर और यूजर ग्रोथ के कारण अधिक मूल्य दे रहे थे। इसलिए यह तेजी कुछ समय के लिए बाजार की चाल और दीर्घकालिक उम्मीदों का मिश्रण थी।

2. सीमित शेयरों की उपलब्धता: ग्रो के बहुत कम शेयर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हैं। वर्तमान में, कंपनी के केवल 7% शेयर ही बाजार में खरीदे-बेचे जा रहे हैं। शेष 93% शेयर आईपीओ में निवेश करने वाले निवेशकों के पास लॉक हैं। जब बाजार में खरीदने के लिए इतने कम शेयर होते हैं, तो थोड़ी सी भी मांग सप्लाई पर भारी पड़ जाती है। ऐसे शेयरों में यदि थोड़ी सी भी खरीदारी होती है, तो कीमत तेजी से बढ़ जाती है।

3. वैल्यूएशन का प्रभाव: ग्रो के शेयर में गिरावट का एक कारण इसकी अत्यधिक कीमत भी है। ग्रो का मार्केट कैप एक समय 1.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया था, जो आईपीओ के समय तय की गई कीमत से लगभग 61,000 करोड़ रुपये अधिक था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी अधिक कीमत का बढ़ना ही शेयर पर बिकवाली का दबाव बना रहा है।