ग्रेच्युटी नियम में बदलाव: एक साल बाद भी क्यों नहीं मिल रहा लाभ?
ग्रेच्युटी का नया नियम
ग्रेच्युटी का नया नियम
जब सरकार ने नए श्रम कोड की घोषणा की, तब प्राइवेट क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों को उम्मीद थी कि कार्यस्थल पर लाभ में सुधार होगा। सबसे अधिक चर्चा इस बात पर हुई कि फिक्स्ड टर्म यानी निश्चित अवधि पर काम करने वाले कर्मचारियों को केवल एक वर्ष की सेवा के बाद ग्रेच्युटी मिलेगी। लेकिन वास्तविकता यह है कि आज भी अधिकांश कर्मचारियों को यह लाभ नहीं मिल रहा है। सवाल यह है कि नियमों में बदलाव के बावजूद एक वर्ष में ग्रेच्युटी क्यों नहीं मिल रही?
पहले ग्रेच्युटी का नियम क्या था?
भारत में ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए किसी भी कर्मचारी को लगातार पांच वर्षों तक एक ही कंपनी में काम करना आवश्यक था। यह नियम स्थायी कर्मचारियों के लिए तो उपयुक्त था, लेकिन फिक्स्ड टर्म और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वालों के लिए यह लगभग असंभव था। कई कर्मचारी पांच साल पूरे होने से पहले ही नौकरी बदल लेते हैं या उनका कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो जाता है।
नए श्रम कोड में क्या बदलाव आया?
नए श्रम कोड में सरकार ने स्पष्ट किया कि यदि कोई फिक्स्ड टर्म कर्मचारी एक वर्ष की सेवा पूरी करता है, तो उसे उसी एक वर्ष के आधार पर ग्रेच्युटी मिलनी चाहिए। सरकार का मानना था कि वर्तमान नौकरी बाजार में लोग लंबे समय तक एक ही कंपनी में नहीं टिकते, इसलिए सामाजिक सुरक्षा जल्दी मिलनी चाहिए।
नया नियम लागू क्यों नहीं हुआ?
यहां असली समस्या शुरू होती है, क्योंकि भारत में श्रम कानून समवर्ती सूची में आते हैं। इसका अर्थ है कि केंद्र सरकार कानून बना सकती है, लेकिन इसे लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। जब तक राज्य सरकारें अपने नियमों को अधिसूचित नहीं करतीं, तब तक कंपनियों पर नए कानून लागू करने की कानूनी बाध्यता नहीं होती।
कंपनियां पुराने नियमों का पालन क्यों कर रही हैं?
राज्य सरकारों की ओर से स्पष्ट नियम न आने के कारण अधिकांश कंपनियां अब भी पुराने ग्रेच्युटी कानून के तहत कार्य कर रही हैं। कंपनियों को डर है कि यदि वे अपने स्तर पर नए नियम लागू करती हैं, तो भविष्य में ऑडिट, जांच या पूर्व की तारीख से भुगतान जैसे कानूनी मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए वे सुरक्षित रास्ता अपनाते हुए पांच साल वाले नियम पर ही टिके हुए हैं।
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सरकार का क्या कहना है?
लेबर मंत्रालय ने कई बार स्पष्ट किया है कि नए कोड के तहत फिक्स्ड टर्म कर्मचारी को एक वर्ष पूरा करने पर ग्रेच्युटी मिलनी चाहिए। लेकिन मंत्रालय खुद यह मानता है कि जब तक राज्य अपने नियमों को अंतिम रूप नहीं देते, तब तक यह प्रावधान केवल कागजों तक सीमित रहेगा।
ग्रेच्युटी के अलावा अन्य लाभ भी अटके
ग्रेच्युटी के साथ-साथ नए श्रम कोड से जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण बदलाव भी रुके हुए हैं। वेतन संरचना में बदलाव, गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा, कार्य के घंटे, ओवरटाइम और छंटनी से संबंधित नियम भी राज्यों की मंजूरी के इंतजार में हैं। जब तक ये नियम लागू नहीं होते, कर्मचारियों को इनका लाभ नहीं मिलेगा.