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गोवा में टैक्सी ऐप्स के बीच संघर्ष: पर्यटकों को हो रही परेशानी

गोवा में टैक्सी ऑपरेटरों और ऐप-बेस्ड कैब सेवाओं के बीच चल रहे संघर्ष ने पर्यटकों को गंभीर समस्याओं में डाल दिया है। हाल ही में एक विदेशी ट्रैवल इंफ्लुएंसर को टैक्सी न मिलने के कारण पैदल चलना पड़ा। इस विवाद में स्थानीय ड्राइवरों का कहना है कि ऐप सेवाएं उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रही हैं, जबकि ऐप कंपनियां पारदर्शिता का दावा कर रही हैं। जानिए इस मुद्दे की गहराई और इसके प्रभावों के बारे में।
 

गोवा में टैक्सी ऐप्स का विवाद

Image Credit source: Instagram/alexweldertravels

गोवा टैक्सी ऐप विवाद: गोवा में वर्तमान में टैक्सी ऑपरेटरों और ऐप-आधारित कैब सेवाओं के बीच एक गंभीर संघर्ष चल रहा है। इस विवाद का सबसे अधिक प्रभाव पर्यटकों पर पड़ रहा है। हाल ही में, एक विदेशी ट्रैवल इंफ्लुएंसर को टैक्सी न मिलने के कारण पैदल चलना पड़ा। यह मामला फिर से चर्चा में है कि कैसे ऐप-आधारित सेवाएं जैसे GoaMiles और स्थानीय ड्राइवरों के बीच संघर्ष गोवा के पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

स्थानीय टैक्सी ऑपरेटरों का विरोध

गोवा में पारंपरिक टैक्सी ड्राइवरों और ऐप-आधारित सेवाओं जैसे GoaMiles के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। स्थानीय ड्राइवरों का कहना है कि ये ऐप सेवाएं उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रही हैं और कम किराए के कारण बाजार को बिगाड़ रही हैं। दूसरी ओर, GoaMiles का कहना है कि उनकी सेवाएं पारदर्शी और डिजिटल हैं, जिससे पर्यटकों को ओवरचार्जिंग से राहत मिलती है।

पर्यटकों को हो रही समस्याएं

इस विवाद का सबसे बड़ा असर पर्यटकों पर पड़ रहा है। कई बार एयरपोर्ट, समुद्र तट या होटल के बाहर पर्यटकों को टैक्सी नहीं मिलती क्योंकि स्थानीय ड्राइवर ऐप-आधारित कैब्स को रोकते हैं। इसी संदर्भ में, जर्मनी के ट्रैवल इंफ्लुएंसर अलेक्जेंडर वेल्डर ने एक वीडियो साझा किया है, जो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वेल्डर ने कहा कि उन्हें गोवा में टैक्सी विवाद के कारण लंबी दूरी पैदल चलनी पड़ी।

अलेक्जेंडर वेल्डर ने वीडियो में बताया कि उन्होंने एक ऐप के माध्यम से कैब बुक की क्योंकि यह काफी सस्ती थी। स्थानीय रिक्शा वाले उनके और उनकी साथी के पीछे चल रहे थे, जिसे उन्होंने "थोड़ा अजीब" बताया। उन्होंने कहा, "वे टुक-टुक की सवारी के लिए 500 रुपये मांग रहे थे, जबकि हमने गोवा माइल्स से 300 रुपये में कैब बुक की।"

यह विवाद केवल टैक्सी ऑपरेटरों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह डिजिटल बनाम पारंपरिक व्यापार मॉडल के बीच संघर्ष का एक उदाहरण बन गया है। जहां ऐप-आधारित कंपनियां स्मार्टफोन ऐप और GPS ट्रैकिंग जैसी सुविधाओं के माध्यम से पारदर्शिता लाने का दावा करती हैं, वहीं स्थानीय ड्राइवर इसे अपने रोजगार के लिए खतरा मानते हैं.