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गोवा में कलेक्टरों को मिला रासुका लगाने का अधिकार, जानें क्यों लिया गया यह फैसला

गोवा सरकार ने जिला कलेक्टरों को तीन महीने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लागू करने का अधिकार दिया है। यह निर्णय बढ़ते गैंग संघर्ष और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने की आवश्यकता के मद्देनजर लिया गया है। कलेक्टर अब उन व्यक्तियों को हिरासत में ले सकेंगे, जिन्हें राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इस कदम को लेकर पहले ही संकेत दिए थे कि सरकार अशांति फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। जानें इस फैसले के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

गोवा सरकार का नया निर्णय

सीएम प्रमोद सावंत

गोवा की सरकार ने जिला कलेक्टरों को तीन महीने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लागू करने का अधिकार प्रदान किया है। यह निर्णय 'वर्तमान परिस्थितियों', बढ़ते गैंग संघर्ष और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इस कदम से कलेक्टर उन व्यक्तियों को हिरासत में ले सकेंगे, जिन्हें राज्य की सुरक्षा या आवश्यक सेवाओं के लिए खतरा माना जाएगा, जिससे कानून-व्यवस्था को मजबूत किया जा सकेगा।

NSA के तहत पुलिस प्रशासन को भी कई अधिकार मिल गए हैं। पुलिस किसी भी व्यक्ति को 12 महीनों तक हिरासत में रख सकती है, यदि उससे सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा उत्पन्न होने का खतरा हो।

आदेश में उल्लेख किया गया है कि उत्तरी और दक्षिणी गोवा के कलेक्टर अपने अधिकार क्षेत्र में NSA की धारा 3 की उप-धारा (2) के तहत शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं। यह प्रावधान उन व्यक्तियों को निवारक निरोध की अनुमति देता है, जिन्हें राज्य की सुरक्षा या आवश्यक सेवाओं के लिए खतरा माना जाता है।

सरकार ने पहले ही संकेत दिए थे

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, जो गृह विभाग का भी प्रभार संभालते हैं, ने कहा कि सरकार राज्य में अशांति फैलाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने पहले कहा था कि रासुका लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द ही एक अधिसूचना जारी की जाएगी। सीएम ने अपने इस निर्णय को लेकर पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि भविष्य में इस तरह के फैसले लिए जा सकते हैं।

हालिया हमले के बाद उठे थे सवाल

सरकार ने हाल की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। हाल ही में कार्यकर्ता रमा कंकोणकर पर एक कथित हमले का मामला सामने आया था, जिसके खिलाफ नेताओं और आम जनता ने विरोध किया। इसी कारण सरकार और पुलिस पर सवाल उठ रहे थे। इस मामले में हिस्ट्रीशीटर जेनिटो कार्डोज़ो सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था.