गोपालगंज की भोरे विधानसभा: राजनीतिक इतिहास और आगामी चुनाव
गोपालगंज जिले की भोरे विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास और वर्तमान स्थिति पर एक विस्तृत दृष्टि। इस सीट पर जेडीयू, आरजेडी और अन्य दलों के बीच मुकाबला हो रहा है, जिसमें जातीय समीकरणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जानें इस सीट के प्रमुख उम्मीदवारों और चुनावी रणनीतियों के बारे में।
Nov 4, 2025, 15:19 IST
भोरे विधानसभा क्षेत्र की विशेषताएँ
गोपालगंज जिले की भोरे विधानसभा सीट राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह सीट गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इसका गठन 1957 में हुआ था और इसमें कटेया, भोरे और विजयीपुर प्रखंड शामिल हैं। यह क्षेत्र न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी रोचक है। अब तक इस विधानसभा क्षेत्र में 16 बार चुनाव हो चुके हैं, और इस दौरान सत्ता का संतुलन कई बार बदल चुका है। पहले चरण का मतदान 06 नवंबर को होना है।
भोरे विधानसभा का चुनावी इतिहास
कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर 8 बार जीत हासिल की है, जबकि जनता दल, भारतीय जनता पार्टी और आरजेडी ने 2-2 बार जीत दर्ज की है। जेडीयू और जनता पार्टी को एक-एक बार सफलता मिली है। 2020 के चुनाव में जेडीयू ने जीत हासिल की थी, लेकिन जीत का अंतर 500 वोटों से भी कम था। यहां जातीय समीकरणों का चुनावी दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है, और अनुसूचित जाति के मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
चुनाव में मुकाबला
इस बार जेडीयू ने सुनील कुमार को उम्मीदवार बनाया है, जबकि CPI ML(L) से धनंजय कुमार को टिकट दिया गया है। प्रशांत किशोर ने गोपालगंज जिले के भोरे विधानसभा से थर्ड जेंडर प्रीति किन्नर को अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रीति की सामाजिक कार्यों और स्थानीय जुड़ाव के कारण उनका जनता के बीच खासा प्रभाव है।
लालू प्रसाद यादव का गृह जिला
गोपालगंज लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है और आरजेडी का यहां पर मजबूत प्रभाव है। आरजेडी और जेडीयू दोनों की मुस्लिम समुदाय पर अच्छी पकड़ है। यह सीट हमेशा जेडीयू और आरजेडी के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलती है।