गुरुग्राम में तीन साल तक घर में कैद मां और बेटे की दर्दनाक कहानी
गुरुग्राम की मां का डरावना अनुभव
गुरुग्राम (हरियाणा) में एक मां ने कोरोना महामारी के डर से अपने बेटे के साथ तीन साल तक घर में कैद रहने का निर्णय लिया। इस दौरान उसने न केवल अपने पति से दूरी बनाई, बल्कि सूरज की रोशनी भी नहीं देखी। जब हालात सामान्य हुए, तो महिला को उसके पति की शिकायत पर पुलिस ने बाहर निकाला।
महिला का नाम मुनमुन मांझी (33) है। जब वह कैद थी, तब उसके बेटे की उम्र 7 वर्ष थी, जो अब 10 साल का हो चुका है। पुलिस द्वारा बाहर लाए जाने पर मुनमुन ने जोर से चिल्लाते हुए कहा कि अगर उसका बेटा बाहर गया, तो वह मर जाएगा।
महिला के पति ने बताया कि उसकी पत्नी एक इंजीनियर थी, लेकिन कोविड के डर से उसने खुद को और अपने बेटे को घर में बंद कर लिया। पति ने कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन मुनमुन ने किसी की भी बात नहीं मानी।
पुलिस ने जब बच्चे की स्थिति देखी, तो वे भी चिंतित हो गए। बच्चे ने तीन साल से सूरज की रोशनी नहीं देखी थी और उसकी हालत बहुत खराब थी।
17 फरवरी को, मुनमुन के पति ने पुलिस से मदद मांगी। पुलिस ने जब जांच की, तो पाया कि महिला और बच्चा सच में घर में कैद थे। पुलिस ने मुनमुन को विश्वास में लेकर दरवाजा खोला और अंदर का दृश्य देखकर सभी हैरान रह गए। अपार्टमेंट में गंदगी और कचरे का ढेर लगा हुआ था।