गुरु पूर्णिमा पर बाबा रामदेव का संदेश: भारत बनेगा वैश्विक नेता
गुरु पूर्णिमा का उत्सव
गुरु पूर्णिमा का पर्व, गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक, पतंजलि योगपीठ में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ के संस्थापक एवं अध्यक्ष स्वामी रामदेव और महासचिव आचार्य बल्कृष्ण ने एक-दूसरे को माला पहनाई और शुभकामनाएं दीं। बाबा रामदेव ने इस दिन को सनातन धर्म को युगधर्म के रूप में स्थापित करने का अवसर बताया और कहा कि यह पर्व भारत के ऋषियों, वेदों और गुरु-शिष्य परंपरा का सार है।
पातंजलि विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए
पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्रों को योग भवन ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित करते हुए, बाबा रामदेव ने कहा कि उन्हें ऋषियों के जीवन मूल्यों और दिव्यता के साथ जीना चाहिए, जिससे वैश्विक स्तर पर एक नई चेतना का निर्माण होगा।
उन्होंने आगे कहा कि विश्व में प्रभुत्व की होड़ है, लेकिन यह प्रभुत्व सत्य, योग, आध्यात्मिकता और न्याय का होना चाहिए। वर्तमान समय में धार्मिक कट्टरता, वैचारिक उन्माद और राजनीतिक, बौद्धिक, और आर्थिक आतंकवाद फैल रहा है। ऐसे में भारत एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा जो शिक्षा, चिकित्सा, अर्थव्यवस्था, समाज और राजनीति में सही दिशा देगा।
आचार्य बल्कृष्ण का वक्तव्य
आचार्य बल्कृष्ण ने अपने बयान में कहा कि गुरु पूर्णिमा एक ऐसा दिन है जो गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को दर्शाता है। लेकिन यह तभी सार्थक है जब शिष्य अपने गुरु के प्रति सम्मान रखे और उनके मार्गदर्शन और सिद्धांतों का पालन करे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक बार फिर योग, आयुर्वेद, सनातन और वेद ज्ञान की ताकत से विश्व नेता बनने की राह पर है।
शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव
इस अवसर पर भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एन.पी. सिंह ने कहा कि पतंजलि शिक्षा के क्षेत्र में एक नई लहर ला रहा है।
कांवड़ यात्रियों के लिए अखंड भंडारा
कार्यक्रम के तहत पतंजलि योगपीठ द्वारा कांवड़ यात्रियों के लिए एक अखंड भंडारा भी आयोजित किया गया, जिसमें बाबा रामदेव ने स्वयं शिव भक्तों को भोजन परोसा।