गुरमीत राम रहीम को मिली 40 दिन की पैरोल: सवाल उठने लगे
गुरमीत राम रहीम की रिहाई
हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर 40 दिन की पैरोल पर रिहा किया है। बलात्कार और हत्या के गंभीर आरोपों में दोषी पाए गए राम रहीम अब 14 सितंबर तक जेल से बाहर रहेंगे। उनकी इस रिहाई के बाद लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं, "क्या बाबा बार-बार बाहर आएंगे?"
एक साल में तीन महीने की रिहाई
इस वर्ष 2025 में, गुरमीत राम रहीम को अब तक कुल 91 दिन की रिहाई मिल चुकी है। पहले अप्रैल में उन्हें 21 दिन की फरलो दी गई थी और अब 40 दिन की पैरोल। इसका मतलब है कि 1 जनवरी से 14 सितंबर तक राम रहीम लगभग तीन महीने जेल से बाहर रहेंगे। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, क्योंकि उन्हें 2017 में विशेष सीबीआई अदालत ने दो साध्वियों के बलात्कार और एक पत्रकार की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था।
सिरसा आश्रम में रहेंगे राम रहीम
हालिया पैरोल के नियमों के अनुसार, राम रहीम सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा आश्रम में ही रहेंगे। उन्हें मंगलवार को रोहतक की सुनारिया जेल से रिहा किया गया और वे तुरंत सिरसा के लिए रवाना हो गए। हालांकि, इस रिहाई का विस्तृत आदेश समाचार लिखे जाने तक उपलब्ध नहीं था।
पैरोल और फरलो में अंतर
पैरोल और फरलो दोनों अस्थायी रिहाई के तरीके हैं, लेकिन इनके उद्देश्य और नियम भिन्न होते हैं। पैरोल आमतौर पर आपात स्थिति में दी जाती है, जैसे बीमार माता-पिता, शादी या अंतिम संस्कार। वहीं, फरलो एक निर्धारित समय की छुट्टी होती है जो कुछ समय जेल में बिताने के बाद कैदी को कानूनी रूप से मिलती है। राम रहीम को इन दोनों का लाभ मिल रहा है, जिससे लोग सवाल उठा रहे हैं।
राम रहीम को मिली थी सजा
गौरतलब है कि राम रहीम को अगस्त 2017 में दो साध्वियों के बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था। इसके बाद एक पत्रकार की हत्या में भी उन्हें सजा सुनाई गई। जब उन्हें दोषी ठहराया गया, तब पंचकूला और आसपास के क्षेत्रों में भारी हिंसा हुई थी, जिसमें लगभग 40 लोगों की जान चली गई थी।
कानून की समानता पर सवाल
अब जब उन्हें बार-बार पैरोल दी जा रही है, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या कानून सभी के लिए समान है? क्या इतने गंभीर अपराधों में दोषी व्यक्ति को बार-बार जेल से बाहर आने की अनुमति मिलनी चाहिए?