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गुजरात सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन के लिए नई नीतियां जारी कीं

गुजरात सरकार ने हाल ही में नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन के लिए नई नीतियों की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राज्य को स्वच्छ ऊर्जा का प्रमुख केंद्र बनाना है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इन नीतियों का अनावरण अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर किया। ये नीतियां जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने और ऊर्जा श्रृंखला को स्थायी बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। राज्य का लक्ष्य 2030 तक 100 गीगावाट से अधिक क्षमता हासिल करना है, जो भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान देगा।
 

गुजरात की नई ऊर्जा नीतियां

गुजरात सरकार ने बृहस्पतिवार को नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन से संबंधित नई नीतियों की घोषणा की। इन नीतियों का मुख्य उद्देश्य राज्य को स्वच्छ ऊर्जा का एक प्रमुख केंद्र बनाना है।


इन पहलों के माध्यम से, राज्य जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी ऊर्जा श्रृंखला को विविधता और स्थिरता प्रदान करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।


‘एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा नीति 2025’ और ‘गुजरात हरित हाइड्रोजन नीति 2025’ नामक ये नीतियां स्वच्छ और सतत ऊर्जा प्रणालियों में तेजी से बदलाव लाने के लिए बनाई गई हैं।


मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के कार्यक्रम में इन नीतियों का अनावरण किया।


एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ये नीतियां भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) और विकसित गुजरात 2047 की दृष्टि के अनुरूप हैं, जो गुजरात को वैश्विक स्तर पर एक प्रतिस्पर्धी स्वच्छ ऊर्जा केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति निवेश, नवाचार और ग्रिड स्थिरता को बढ़ावा देकर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को सशक्त बनाएगी।


विज्ञप्ति में बताया गया है कि गुजरात की नवीकरणीय ऊर्जा में अग्रणी स्थिति को बनाए रखते हुए, 2030 तक 100 गीगावाट से अधिक क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। यह नीति भारत के 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान देगी।


इस नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) का प्रोत्साहन और एकीकरण है, जिससे बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ा जा सके और बिजली ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित हो सके।


नवीकरणीय ऊर्जा नीति में विशेष रूप से स्वयं उपयोग और तृतीय-पक्ष बिक्री वाली परियोजनाओं के लिए समय-सीमा में छूट दी गई है। पारेषण अवसंरचना की समय-सीमा को अब परियोजना की क्षमता के बजाय वोल्टेज स्तर के आधार पर युक्तिसंगत किया गया है।