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गिग वर्कर्स की हड़ताल से नए साल का जश्न प्रभावित, डिलीवरी में देरी

गिग वर्कर्स की हड़ताल ने नए साल के जश्न को प्रभावित कर दिया है, जिससे डिलीवरी में देरी हो रही है। वर्कर्स ने भुगतान में वृद्धि की मांग की है, क्योंकि उनकी आमदनी 50% तक घट गई है। कई डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले ये वर्कर्स अपनी समस्याओं को लेकर चिंतित हैं। दुकानदारों और ग्राहकों ने भी इस हड़ताल से होने वाली परेशानियों का सामना किया है। क्या गिग वर्कर्स की मांगें पूरी होंगी? जानें पूरी कहानी में।
 

गिग वर्कर्स की हड़ताल


नए साल का आगमन नजदीक है, लेकिन गिग वर्कर्स की हड़ताल ने जश्न को फीका कर दिया है। अब आपके सामान की डिलीवरी में पहले से ज्यादा समय लग सकता है। हड़ताल का मुख्य कारण डिलीवरी के लिए मिलने वाले भुगतान में वृद्धि की मांग है। वर्कर्स का कहना है कि उनकी आमदनी 50 प्रतिशत तक घट गई है, क्योंकि डिलीवरी पेमेंट कम कर दिए गए हैं और काम के घंटे बढ़ा दिए गए हैं।


स्विगी, जोमैटो, अमेजन और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले गिग वर्कर्स ने आज से हड़ताल का ऐलान किया है। उन्होंने अपनी समस्याओं के बारे में मीडिया से बात की है।


गिग वर्कर्स की शिकायतें

गिग वर्कर्स का आरोप है कि कंपनियां मनमाने तरीके से डिलीवरी पेमेंट, इंसेंटिव और बोनस में कटौती कर रही हैं। पहले उनकी आमदनी अच्छी होती थी, लेकिन अब यह आधी रह गई है। कई बार 7 से 8 घंटे काम करने के बाद भी उन्हें केवल 400 से 500 रुपये मिलते हैं, जबकि पहले इसी समय में वे 1000 रुपये तक कमा लेते थे।


वर्कर्स ने बताया कि पहले वे मन से काम करते थे, लेकिन अब यह मजबूरी बन गया है। वे 17 से 18 घंटे काम करते हैं, फिर भी उनकी आय में कमी आ रही है। इसके अलावा, समय पर डिलीवरी करने का दबाव भी रहता है। अगर रास्ते में कोई बाधा आती है, तो ग्राहक नाराज हो जाते हैं।


आर्थिक स्थिति

25 दिसंबर को भी गिग वर्कर्स ने हड़ताल की थी, लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि हड़ताल करने पर उन्हें धमकियां दी गईं। पहले जहां 5 घंटे में 15 ऑर्डर मिलते थे, अब यह घटकर 7-8 रह गए हैं।


वर्कर्स का कहना है कि हाल के महीनों में पेमेंट स्ट्रक्चर में बदलाव के कारण उनकी आमदनी 50% तक गिर गई है। बढ़ती लागत और अनिश्चित काम के घंटे उनकी स्थिति को और खराब कर रहे हैं।


गिग वर्कर्स की मांगें

गिग वर्कर्स की मांग है कि उन्हें डिलीवरी के लिए उचित भुगतान, इंसेंटिव, बीमा पॉलिसी और स्वास्थ्य लाभ दिए जाएं। लेकिन असंगठित क्षेत्र और एकजुटता की कमी के कारण उनकी आवाज को अनसुना किया जा रहा है। कुछ कंपनियों का कहना है कि उनका नया पेमेंट मॉडल प्रदर्शन पर आधारित है।


भारत में लगभग 80 लाख गिग वर्कर्स हैं, जो डिलीवरी, लॉजिस्टिक्स और राइड-शेयरिंग में काम करते हैं। हालांकि, इस रोजगार मॉडल में सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम वेतन के लिए कानूनी ढांचा स्पष्ट नहीं है।


दुकानदारों का समर्थन

गिग वर्कर्स की हड़ताल से डिलीवरी नेटवर्क पर असर पड़ रहा है। पिछले हड़ताल के कारण कई क्षेत्रों में फूड और ग्रोसरी डिलीवरी सेवाएं प्रभावित हुई हैं। एक दुकानदार ने बताया कि उनकी बिक्री में 80% की कमी आई है।


एक ग्राहक ने कहा कि क्रिसमस और नए साल पर वे ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं, लेकिन इस बार उन्हें काफी परेशानी हुई। अगर 31 दिसंबर को भी हड़ताल जारी रही, तो समस्या और बढ़ जाएगी।