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गाजीपुर के सब्जी विक्रेता की जिंदगी में आया बड़ा भूचाल

गाजीपुर के सब्जी विक्रेता विनोद रस्तोगी की कहानी एक अनोखे साइबर धोखाधड़ी के मामले की है। जब उसे आयकर विभाग से नोटिस मिला कि उसके खाते में 172.81 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है, तो उसकी जिंदगी में भूचाल आ गया। यह घटना न केवल विनोद के लिए बल्कि सभी के लिए एक चेतावनी है, जो साइबर अपराध के शिकार हो सकते हैं। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
 

विनोद रस्तोगी की अनोखी कहानी


गाजीपुर के एक छोटे से गाँव में विनोद रस्तोगी, एक साधारण सब्जी विक्रेता, अपनी दिनचर्या में व्यस्त था। उसकी दुनिया उसकी छोटी दुकान, परिवार और रोज की कमाई तक सीमित थी। उसे कभी यह नहीं लगा था कि उसकी जिंदगी में इतना बड़ा बदलाव आएगा।


यह सब तब शुरू हुआ जब उसे वाराणसी के आयकर विभाग से एक नोटिस प्राप्त हुआ। नोटिस खोलते ही उसकी आंखें फटी रह गईं। उसमें लिखा था कि उसके बैंक खाते में 172.81 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है, और उसने इस पर टैक्स नहीं चुकाया है।


विनोद को यह सुनकर विश्वास ही नहीं हुआ। '172 करोड़! यह कैसे संभव है?' उसने सोचा। उसने कभी एक लाख रुपये भी एक साथ नहीं देखे थे। तुरंत ही वह आयकर विभाग के अधिकारियों से मिलने गया। अधिकारियों ने बताया कि यह राशि उसके यूनियन बैंक के खाते से आई है। जब विनोद ने उस खाते की जानकारी ली, तो उसने बताया कि उसने ऐसा कोई खाता खोला ही नहीं था। यह किसी और ने उसके दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल करके किया था।


यह खबर गाँव में तेजी से फैल गई। कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि एक सब्जी विक्रेता के खाते में इतनी बड़ी राशि हो सकती है। कुछ लोग तो यह कहने लगे कि विनोद इस मामले से डरकर भाग गया है।


विनोद ने इस घटना की शिकायत स्थानीय पुलिस से की, जिसके बाद उसे साइबर सेल भेजा गया। साइबर सेल के अधिकारियों ने उसे आश्वासन दिया कि वे मामले की पूरी जांच करेंगे। विनोद को समझ नहीं आ रहा था कि एक तरफ वह अपनी मेहनत से जीवन यापन कर रहा है, और दूसरी तरफ उसके नाम पर अरबों का लेन-देन हो रहा है।


यह घटना यह दर्शाती है कि कैसे साइबर अपराध और धोखाधड़ी आम लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकती है। यह केवल विनोद की कहानी नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए एक चेतावनी है जिनके दस्तावेज गलत हाथों में पड़ सकते हैं।