गाजा के नाम पर चंदा मांगने वाले गिरोह का भंडाफोड़, सीरियाई नागरिक गिरफ्तार
अहमदाबाद में क्राइम ब्रांच ने गाजा में युद्धग्रस्त लोगों के लिए चंदा मांगने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। एक 23 वर्षीय सीरियाई नागरिक, अली मेधात अलजहर, को गिरफ्तार किया गया है, जिसने भारत के विभिन्न राज्यों की मस्जिदों से चंदा इकट्ठा किया। जांच में पता चला है कि उसने दान के पैसे का इस्तेमाल अपनी विलासिता पर किया। अधिकारियों ने उसके साथियों के पासपोर्ट की प्रामाणिकता की जांच शुरू कर दी है और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इस गिरोह का आतंकवाद से कोई संबंध है।
Aug 23, 2025, 12:18 IST
गिरोह का पर्दाफाश
अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच ने गाजा में युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए चंदा मांगने के बहाने ठगी करने वाले एक गिरोह का खुलासा किया है। यह मामला तब सामने आया जब एक 23 वर्षीय सीरियाई नागरिक को गिरफ्तार किया गया, जिसने खुद को गाजा का निवासी बताकर भारत के विभिन्न राज्यों की मस्जिदों से चंदा इकट्ठा किया। आरोपी की पहचान अली मेधात अलजहर के रूप में हुई है, जिसने दावा किया कि वह पशुपालन का व्यवसाय करता है और अहमदाबाद के एलिसब्रिज स्थित रीगल रेजीडेंसी होटल में पर्यटक वीजा पर रह रहा था। अधिकारियों के अनुसार, अपराध शाखा ने एक गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई की, जिसमें बताया गया कि गाजा का एक गिरोह संघर्ष के पीड़ितों के रूप में खुद को पेश करके धोखाधड़ी से धन जुटा रहा है।
धोखाधड़ी का तरीका
जांच के दौरान, अली को अहमदाबाद की विभिन्न मस्जिदों में जाकर गाजा से होने का दावा करते हुए और दान की अपील करते हुए पाया गया। राहत कार्यों में धन खर्च करने के बजाय, उसने इसे अपनी विलासिता पर खर्च किया। पूछताछ के दौरान, अली ने केवल अरबी भाषा जानने का नाटक किया। अधिकारियों को उसके सीने पर चोट के निशान भी मिले, जिनके बारे में उसने कहा कि वे युद्ध के घाव हैं। हालांकि, जांचकर्ताओं को संदेह है कि यह उसकी सहानुभूति और विश्वसनीयता हासिल करने की चाल थी। प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि अली ने दान के कुछ हिस्से का उपयोग निजी विलासिता के लिए किया और हवाला के माध्यम से धन का हस्तांतरण किया। अधिकारी एकत्रित धन के स्रोत और उसके उपयोग की जांच कर रहे हैं। यह भी सामने आया है कि यह समूह भारत पहुंचने से पहले लेबनान में इकट्ठा हुआ था।
अगले कदम
अली को हिरासत में लिया गया है और कई एजेंसियाँ उससे पूछताछ कर रही हैं। वीज़ा नियमों का उल्लंघन करने के कारण उसे निर्वासित और काली सूची में डाले जाने की संभावना है। उसके साथियों के पासपोर्ट की प्रामाणिकता की जांच की जा रही है और अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इस गिरोह का अवैध गतिविधियों या आतंकवाद के वित्तपोषण से कोई संबंध है। यह मामला मानवीय सहायता के नाम पर धोखाधड़ी और उसके संभावित दुरुपयोग की चिंताओं को उजागर करता है। भारतीय शहरों में इस नेटवर्क के संचालन का पता लगाने और एकत्रित धन के उपयोग की दिशा में आगे की जांच जारी है।