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गांव बचाओ आंदोलन: टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट के खिलाफ ग्रामीणों की एकजुटता

टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट के तहत सैकड़ों गांवों के विस्थापन के खिलाफ 'गांव बचाओ आंदोलन' ने जोर पकड़ लिया है। ग्रामीणों ने पंचायत आयोजित कर सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई है। मोहन सिंह गुर्जर ने चेतावनी दी है कि बिना ग्रामीणों की सहमति के कोई भी निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए। 25 नवंबर को करौली और धौलपुर में होने वाली महापंचायत में आंदोलन की औपचारिक शुरुआत की जाएगी। जानें इस संघर्ष की पूरी कहानी और ग्रामीणों की एकजुटता के बारे में।
 

गांवों के विस्थापन के खिलाफ आंदोलन

सर्मथुरा (बाड़ेपुरा), 12 नवंबर 2025: टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट के तहत सैकड़ों गांवों के विस्थापन के निर्णय के खिलाफ 'गांव बचाओ आंदोलन' ने जोर पकड़ लिया है। मंगलवार को बाड़ेपुरा गांव की प्याऊ पर 12 गांवों के निवासियों ने पंचायत का आयोजन किया, जिसमें केंद्र सरकार की नीतियों को ग्रामीणों की भावनाओं के खिलाफ बताया गया और आंदोलन को और तेज करने का संकल्प लिया गया। आंदोलन के संयोजक मोहन सिंह गुर्जर ने चेतावनी दी कि बिना ग्रामीणों की सलाह के आयोजित ग्राम सभाएं निरर्थक हैं, और अब जनआंदोलन ही एकमात्र विकल्प बचा है।


ग्रामीणों की आवाज़

पंचायत में मोहन सिंह गुर्जर ने कहा, "सरकार ने सैकड़ों गांवों को उजाड़ने का निर्णय लिया है, लेकिन ग्रामीणों की राय लेना आवश्यक नहीं समझा। जितनी भी ग्राम सभाएं हुईं, वे केवल औपचारिकताएं थीं।" उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि 25 नवंबर को करौली और धौलपुर जिलों की सीमा पर खान की चौकी में होने वाली संयुक्त महापंचायत में भाग लें, जहां आंदोलन की औपचारिक शुरुआत की जाएगी। गुर्जर ने कहा, "अब आंदोलन को तेज करने का समय आ गया है। गांवों को बचाने के लिए हर गांव में समितियां बनाई जा रही हैं, ताकि सरकार के खिलाफ एकजुट होकर मोर्चा खोला जा सके।"


आंदोलन की आवश्यकता

आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभा रहे जगदीश रावत ने कहा, "ग्रामीणों को उजाड़कर सरकार लाखों लोगों को कहां बसाएगी? जमीन और पशुधन का क्या होगा—इसका कोई योजना नहीं है। दिल्ली से बिना सोचे-समझे लिया गया यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है। इसलिए जनआंदोलन ही हमारा एकमात्र हथियार है। अगर हमें अपने घर-गांव बचाने हैं, तो एकजुट होकर लड़ना होगा।"


ग्रामीणों की एकजुटता

पंचायत में बहादुर सरपंच, करण सरपंच, वचन सरपंच, प्रभु प्रधान, मोहन लाल सरपंच, राम खिलाड़ी, अमरलाल, प्रभु जाटव, रमेश जाटव, रामेश्वर लोखीपुरा, होरी लाल, भागीरथ, शिवसिंह, रतिराम, वीरेंद्र मोर सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। आंदोलनकारियों ने सरकार से मांग की है कि विस्थापन नीति पर पुनर्विचार किया जाए और ग्रामीणों की सहमति के बिना कोई कदम न उठाया जाए।


आंदोलन का विस्तार

यह आंदोलन टाइगर रिजर्व परियोजना से प्रभावित राजस्थान के कई जिलों में फैल रहा है, जहां ग्रामीण अपनी जमीन, संस्कृति और आजीविका की रक्षा के लिए सड़क पर उतरने को तैयार हैं। महापंचायत के बाद आंदोलन और तेज होने की संभावना है।