गरुड़ पुराण में महिलाओं के प्रति सम्मान और मर्यादा का महत्व
गरुड़ पुराण का महत्व
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने स्वर्ग और नरक का गहन वर्णन किया है। स्वर्ग को सुख, शांति और आनंद का स्थान माना गया है, जबकि नरक को यातनाओं और दंड का स्थान बताया गया है। इसमें खौलते तेल में डालने, वैतरणी नदी पार कराने और अन्य कष्टदायक दंडों का उल्लेख है। यही कारण है कि इसे मोक्ष के मार्ग को दर्शाने वाले 18 महापुराणों में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
नियमों का पालन और उनके परिणाम
गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति इसमें बताए गए नियमों का पालन करता है, वह पाप और बुरे कर्मों से बचकर सुखद जीवन जी सकता है और मृत्यु के बाद नरक के कष्टों से मुक्त हो जाता है। इसमें यह भी उल्लेख है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में पुरुषों को महिलाओं की ओर नहीं देखना चाहिए, क्योंकि यह उनके सम्मान का प्रश्न है। इन परिस्थितियों में देखने वाले पुरुष महापाप के भागी बनते हैं और नरक में कठोर दंड भुगतते हैं।
महिलाओं से जुड़ी विशेष परिस्थितियाँ
स्तनपान कराते समय: जब कोई महिला अपने बच्चे को दूध पिला रही हो, उस समय पुरुष को उसकी ओर नहीं देखना चाहिए। यह मातृत्व का पवित्र कार्य है, जिसे गोपनीय रखना उचित है। इस नियम का उल्लंघन करने वालों को नरक में कठोर यातनाएं मिलती हैं।
स्नान करते समय: किसी महिला को स्नान करते हुए देखना शास्त्रों के अनुसार गंभीर पाप है, चाहे वह नदी, तालाब या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर क्यों न हो। ऐसा करने वाले को मृत्यु के बाद घोर कष्ट सहने पड़ते हैं।
कपड़े बदलते समय: जब कोई महिला वस्त्र बदल रही हो, तब उसकी ओर दृष्टि डालना भी पाप है। गरुड़ पुराण में इसे महापाप की श्रेणी में रखा गया है, और ऐसे पुरुष नरक में कठोर सजा भुगतते हैं।
समाज में महिलाओं का सम्मान
गरुड़ पुराण का संदेश स्पष्ट है कि महिलाओं की मर्यादा और सम्मान की रक्षा करना हर पुरुष का कर्तव्य है। इन पवित्र क्षणों में उन्हें देखने से बचना चाहिए, अन्यथा इसके गंभीर आध्यात्मिक दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।