क्रांति गौड़: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की विश्व कप विजेता की प्रेरणादायक यात्रा
क्रांति गौड़ की सफलता की कहानी
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की तेज गेंदबाज क्रांति गौड़ ने विश्व कप जीतकर न केवल देश का नाम रोशन किया है, बल्कि अपने संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी से लाखों लोगों को भी प्रेरित किया है। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से आने वाली क्रांति ने कठिनाइयों का सामना करते हुए हार नहीं मानी और आज वह टीम इंडिया की जर्सी पहनकर विश्व विजेता बन चुकी हैं।
भव्य स्वागत और सम्मान
जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम शुक्रवार को भोपाल पहुंची, तो एयरपोर्ट पर उनका शानदार स्वागत किया गया। ढोल-नगाड़ों और फूलों की वर्षा के बीच खिलाड़ियों का अभिनंदन हुआ। इस अवसर पर खेल विभाग के अधिकारी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी उपस्थित थे।
पिता की नौकरी जाने के बाद का संघर्ष
क्रांति गौड़ ने अपने संघर्ष की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि उनके पिता मुन्ना सिंह, जो पुलिस विभाग में कांस्टेबल थे, को कई साल पहले सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। उनके भाई ने मजदूरी और बस कंडक्टर का काम करके परिवार का भरण-पोषण किया। ऐसे कठिन हालात में भी क्रांति ने क्रिकेट को नहीं छोड़ा।
छतरपुर के छोटे से गांव घुवारा की रहने वाली क्रांति बचपन से ही लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थीं। उस समय लोग उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन आज वही लोग उनकी प्रशंसा करते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे हमेशा विश्वास था कि एक दिन मैं टीम इंडिया की जर्सी पहनूंगी।”
मुख्यमंत्री का सम्मान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने निवास पर क्रांति गौड़ और उनकी पूरी टीम का सम्मान किया। उन्होंने छतरपुर में एक स्टेडियम बनाने की घोषणा की और क्रांति को 1 करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार देने का ऐलान किया। इसके साथ ही, उन्होंने उनके पिता की नौकरी बहाल करने का आश्वासन भी दिया। सीएम ने कहा, “क्रांति जैसी बेटियां प्रदेश और देश का गौरव हैं। सरकार उनके साथ हर कदम पर खड़ी है।”
राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की कि 15 नवंबर को जबलपुर में क्रांति गौड़ का विशेष सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। इस पहल को लेकर खेल प्रेमियों और आम जनता में उत्साह है।