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क्या 'बीजिंग मॉडल' दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण को कम कर सकता है?

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर चीन ने सोशल मीडिया के माध्यम से सलाह देना शुरू किया है। बीजिंग के प्रदूषण नियंत्रण मॉडल के उदाहरणों के जरिए, चीन यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि भारत भी अपनी राजधानी और अन्य क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। जानें कैसे बीजिंग ने औद्योगिक पुनर्गठन और अन्य उपायों के जरिए प्रदूषण पर काबू पाया और क्या यह मॉडल दिल्ली-एनसीआर में लागू किया जा सकता है।
 

दिल्ली और बीजिंग के बीच प्रदूषण नियंत्रण की तुलना

दिल्ली और बीजिंग.

भारत में वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर चीन अब सोशल मीडिया के माध्यम से सलाह देने लगा है। कभी आंकड़ों के माध्यम से, तो कभी नीतिगत सुधारों के उदाहरण देकर, चीन यह दर्शाने की कोशिश कर रहा है कि भारत अपनी राजधानी दिल्ली और अन्य क्षेत्रों में बिगड़ती हवा को कैसे सुधार सकता है। विशेष रूप से, बीजिंग में प्रदूषण नियंत्रण के मॉडल को साझा करते हुए, चीन यह संदेश दे रहा है कि यदि वह सफल हो सकता है, तो भारत भी ऐसा कर सकता है।

बीजिंग ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केवल वाहनों पर ही नहीं, बल्कि अपनी औद्योगिक संरचना पर भी कठोर निर्णय लिए। इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू औद्योगिक पुनर्गठन रहा। बीजिंग से 3000 से अधिक प्रदूषणकारी उद्योगों को या तो बंद किया गया या शहर से बाहर स्थानांतरित किया गया। इसका एक प्रमुख उदाहरण चीन की प्रमुख स्टील कंपनी Shougang है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, बीजिंग में सांस के साथ अंदर जाने वाले सूक्ष्म कणों में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आई।

चीन ने प्रदूषण पर कैसे काबू पाया?

चीन सरकार ने बीजिंग से उद्योग हटाने के बाद खाली पड़ी फैक्ट्रियों को छोड़ने के बजाय, उन्हें हरित और आधुनिक शहरी स्थानों में परिवर्तित किया। पुराने औद्योगिक क्षेत्रों को पार्क, वाणिज्यिक क्षेत्र, सांस्कृतिक केंद्र और तकनीकी हब में बदल दिया गया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण शौगांग का पुराना औद्योगिक परिसर है, जिसे पुनर्विकास के बाद Beijing Winter Olympics 2022 के प्रमुख स्थलों में शामिल किया गया। इसके साथ ही, राजधानी पर बोझ कम करने के लिए गैर-राजधानी कार्यों को भी बाहर स्थानांतरित किया गया।

थोक बाजार, लॉजिस्टिक्स हब, और कुछ शैक्षणिक एवं चिकित्सा संस्थानों को बीजिंग से हटाकर आसपास के क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया, जिससे ट्रैफिक और औद्योगिक गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण में कमी आई। बीजिंग ने यह कदम अकेले नहीं उठाया, बल्कि क्षेत्रीय समन्वय के तहत सामान्य मैन्युफैक्चरिंग को पड़ोसी प्रांत Hebei में स्थानांतरित किया गया, जबकि राजधानी में उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों जैसे अनुसंधान, विकास और सेवा उद्योग को बनाए रखा गया।

प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण

इसका परिणाम यह रहा कि बीजिंग ने आर्थिक गतिविधियों को समाप्त किए बिना, उन्हें स्मार्ट तरीके से पुनर्गठित किया और प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण पाया। औद्योगिक पुनर्गठन, बीजिंग की स्वच्छ हवा की रणनीति का आधार बना, जिसने राजधानी की पहचान को धुएं से घिरी औद्योगिक शहर से हरे और आधुनिक मेगासिटी में बदल दिया।