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क्या UPI भुगतान की मुफ्त सेवा समाप्त होने वाली है? RBI गवर्नर का स्पष्टीकरण

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में UPI भुगतान की मुफ्त सेवा पर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि UPI लेनदेन पर शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन यह भी कहा कि इसकी स्थिरता के लिए लागत का भुगतान आवश्यक है। जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनका क्या कहना है और UPI के भविष्य के बारे में क्या संकेत मिलते हैं।
 

आरबीआई गवर्नर का बयान

आरबीआई के गवर्नर ने यूपीआई की मुफ्त सेवा पर अपने विचार साझा किए हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) लेनदेन पर शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव अभी तक सेंट्रल बैंक के समक्ष नहीं आया है। उन्होंने पहले भी इस विषय पर स्पष्टीकरण दिया था। गवर्नर ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि UPI हमेशा के लिए मुफ्त रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि UPI लेनदेन से जुड़ी लागतें हैं, जिन्हें किसी न किसी को चुकाना होगा। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि भुगतान कौन करता है, लेकिन बिल चुकाने वाले से ज्यादा महत्वपूर्ण यह नहीं है। इसलिए, इस मॉडल की स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत रूप से कोई न कोई भुगतान करे।


जीरो कॉस्ट यूपीआई की स्थिरता

जीरो कॉस्ट यूपीआई की चिंता

गवर्नर ने कई बार यूपीआई के जीरो-कॉस्ट ढांचे की स्थिरता पर चिंता व्यक्त की है। जुलाई में मुंबई में एक बीएफएसआई शिखर सम्मेलन में उन्होंने डिजिटल भुगतान के तेजी से विस्तार की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह (यूपीआई) एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा है। सरकार का मानना है कि इसे मुफ्त उपलब्ध होना चाहिए और इसके लिए सब्सिडी दी जा रही है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में यूपीआई ने 20 अरब लेनदेन किए, जिसमें साल-दर-साल 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।


महत्वपूर्ण बिंदु

दिया था ये बड़ा बयान

मल्होत्रा ने जोर देकर कहा कि यूपीआई या किसी अन्य भुगतान प्रणाली का सुलभ, सस्ता, सुरक्षित और टिकाऊ होना आवश्यक है। यह तभी संभव है जब इसकी लागत का भुगतान किया जाए। वर्तमान में, सरकार लेनदेन की लागत में सब्सिडी देकर यूपीआई को समर्थन दे रही है ताकि इसे उपयोगकर्ताओं के लिए मुफ्त रखा जा सके।