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कोल्हापुरी चप्पलों का विवाद: प्रादा ने भारतीय संस्कृति की नकल की?

कोल्हापुरी चप्पलें भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो हाल ही में प्रादा द्वारा नकल किए जाने के कारण विवाद में हैं। इस लेख में, हम करीना कपूर और नीना गुप्ता की प्रतिक्रियाओं, प्रादा के रैंप शो और कोल्हापुरी चप्पलों के ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा करेंगे। क्या यह नकल है या प्रेरणा? जानें इस दिलचस्प विवाद के बारे में।
 

कोल्हापुरी चप्पल: भारतीय संस्कृति का प्रतीक

कोल्हापुरी चप्पलें भारत की एक अमूल्य धरोहर हैं, जो अद्वितीय शैली और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। इनकी विशेष कारीगरी और व्यक्तिगतता को दर्शाने की क्षमता इन्हें अन्य ब्रांडों से अलग बनाती है। हाल ही में, इटालियन लक्जरी ब्रांड प्रादा ने एक चप्पल पेश की, जो कोल्हापुरी चप्पल के समान दिखती है, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया है। सोशल मीडिया पर भारतीय निर्माताओं के लिए मुआवजे और क्रेडिट की मांग बढ़ रही है।


करीना कपूर और नीना गुप्ता का प्रादा पर तंज

अभिनेत्री करीना कपूर खान ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर एक मजेदार तस्वीर साझा की, जिसमें उन्होंने कोल्हापुरी चप्पल पहनी हुई थी। उन्होंने लिखा, "माफ कीजिए, यह प्रादा नहीं है, बल्कि मेरी असली कोल्हापुरी है।"



नीना गुप्ता ने भी प्रादा पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी की, जब उन्होंने अपने हाथ से बनी कोल्हापुरी चप्पलें दिखाते हुए एक वीडियो साझा किया।


प्रादा का रैंप शो और विवाद

जब प्रादा ने अपने रैंप शो में कोल्हापुरी चप्पल के समान चप्पल पेश की, तो भारतीय सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने तुरंत इसकी समानता को नोटिस किया। अब, वे प्रादा से भारतीय निर्माताओं को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। कुछ लोग इस वैश्विक पहचान पर खुश हैं, जबकि कई लोग नाराज हैं कि प्रादा ने मूल कारीगरों को कोई श्रेय नहीं दिया।


कोल्हापुरी चप्पलों की कीमत

फैशन विशेषज्ञों ने बताया कि प्रादा की चप्पलें लगभग £1,000 (लगभग 1.2 लाख रुपये) में बिक रही हैं, जबकि भारत में ये चप्पलें 500 रुपये से शुरू होती हैं।


कोल्हापुरी चप्पलों का इतिहास

कोल्हापुरी चप्पलें महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर से उत्पन्न हुई हैं, जिनका इतिहास 12वीं सदी तक फैला हुआ है। ये चप्पलें स्थानीय चमड़े से हस्तनिर्मित होती हैं और इनकी खूबसूरती और कारीगरी अद्वितीय होती है।


संस्कृति का प्रतीक

18वीं सदी तक, कोल्हापुरी चप्पलें बहुत लोकप्रिय हो गई थीं। आज ये चप्पलें अपने अनोखे डिज़ाइन और उत्कृष्ट हस्तशिल्प के लिए विश्वभर में जानी जाती हैं।


संस्कृति की नकल या प्रेरणा?

यह विवाद एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है: क्या वैश्विक फैशन ब्रांड स्थानीय कला से केवल प्रेरणा ले रहे हैं या उनकी नकल कर रहे हैं? जब मूल कलाकारों को श्रेय नहीं दिया जाता, तो यह सांस्कृतिक इतिहास को मिटाने के समान है।