कोलकाता में संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस: भारत की सुरक्षा रणनीति में नया मोड़
संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का महत्व
भारत की सुरक्षा नीति के लिए कोलकाता में होने वाली संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (CCC 2025) एक महत्वपूर्ण घटना है। यह सम्मेलन उस समय आयोजित हो रहा है जब वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और अनिश्चितता बढ़ रही है। नेपाल में राजनीतिक संकट, पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था और आतंकवादी गतिविधियाँ, बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों का उभार, तालिबान का शासन अफगानिस्तान में, और म्यांमार की अशांति, ये सभी भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौतियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में बदलाव
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हालात तेजी से बदल रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में अशांति ने वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और सुरक्षा के समीकरणों को प्रभावित किया है। चीन की आक्रामक नीतियाँ, विशेषकर इंडो-पैसिफिक और दक्षिण चीन सागर में, भारत के लिए एक अप्रत्यक्ष खतरा उत्पन्न कर रही हैं.
सुरक्षा नीति का पुनर्परिभाषा
इस कठिन समय में, यह सम्मेलन भारत को अपनी सुरक्षा और सामरिक नीति को नए सिरे से परिभाषित करने का अवसर प्रदान करता है। यह ऑपरेशन सिंदूर के बाद हो रहा है, जिसने भारत की सैन्य क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया। यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है और आवश्यकता पड़ने पर साहसिक कदम उठाने से नहीं चूकेगा.
कमांडर्स कॉन्फ्रेंस की संरचना
कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (Combined Commanders’ Conference) भारतीय सेनाओं के शीर्ष नेतृत्व का एक संयुक्त मंथन मंच है। इसमें प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल होते हैं। यह परंपरा 2001 से चली आ रही है और हाल के वर्षों में इसे और व्यापक बनाया गया है.
सैन्य बलों के लाभ
इस सम्मेलन से भारतीय सैन्य बलों को कई लाभ मिलते हैं। थल, जल और नभ सेनाएँ एक संयुक्त शक्ति के रूप में कार्य करने की योजना बनाती हैं, जिससे युद्धक क्षमता में तालमेल आता है। स्वदेशी रक्षा तकनीक जैसे ड्रोन, AI, और साइबर सुरक्षा को अपनाने की रणनीति बनती है.
प्रधानमंत्री मोदी का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 और 15 सितंबर को कोलकाता में रहेंगे, जहाँ वे संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन 15 से 17 सितंबर तक विजयदुर्ग में आयोजित होगा। इस बार सम्मेलन की मेज़बानी ईस्टर्न कमांड कर रहा है, जिससे पूर्वी सीमाओं से जुड़े मुद्दों पर विशेष चर्चा होने की संभावना है.
सम्मेलन का महत्व
कोलकाता में होने वाला यह सम्मेलन केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा रणनीति और सैन्य सुधारों का एक महत्वपूर्ण रोडमैप साबित होगा। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति से इसका महत्व और बढ़ जाता है.