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कोलकाता में मोहन भागवत का प्रेरक संबोधन: हिंदू एकता की आवश्यकता

कोलकाता में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक बौद्धिक संगोष्ठी में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की स्थिति और हिंदू एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया और कहा कि हिंदू समाज की एकजुटता से पश्चिम बंगाल में सामाजिक बदलाव संभव है। भागवत ने आरएसएस की पहचान को स्पष्ट करते हुए कहा कि संगठन किसी राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व नहीं करता। उनका संदेश आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, लेकिन इसे धार्मिक रंग देने की कोशिशें भी हो रही हैं।
 

आरएसएस प्रमुख का संबोधन

कोलकाता में आयोजित एक बौद्धिक संगोष्ठी में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने एक प्रेरणादायक भाषण दिया। चार घंटे से अधिक समय तक चले विचार-विमर्श और प्रश्नोत्तर सत्र में उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ बढ़ते दबाव और उत्पीड़न के मुद्दे पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने केंद्र सरकार से इस विषय पर ध्यान देने का आग्रह किया। भागवत ने पश्चिम बंगाल में हिंदू समुदाय की एकजुटता को भविष्य में बदलाव की कुंजी बताया।


बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति

हजारों शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों की उपस्थिति में भागवत ने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश में हालात बहुत कठिन हैं। वहां के हिंदुओं को संगठित रहना आवश्यक है और वैश्विक हिंदू समाज को उनके समर्थन में खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर कुछ कदम उठाने चाहिए। भागवत ने कहा, 'संभव है कि वे पहले से ही कुछ कर रहे हों, लेकिन इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती।'


हिंदू एकता का संदेश

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने यह भी कहा कि भारत हिंदुओं का देश है। उन्होंने पश्चिम बंगाल पर विशेष ध्यान देते हुए कहा कि जैसे ही हिंदू समाज संगठित होगा, राज्य में सामाजिक बदलाव तेजी से दिखाई देगा। यह ध्यान देने योग्य है कि पश्चिम बंगाल लंबे समय से राजनीतिक और वैचारिक संघर्ष का केंद्र रहा है। ऐसे में एकजुटता का संदेश सत्ता और समाज दोनों के समीकरणों को चुनौती देता है।


आरएसएस की पहचान

कार्यक्रम में यह भी स्पष्ट किया गया कि आरएसएस के बारे में फैली भ्रांतियां वास्तविकता से दूर हैं। भागवत ने संगठन की सौ साल की यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि आरएसएस को समझने के लिए उसके कार्यों को देखना चाहिए, न कि अफवाहों पर भरोसा करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस किसी राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व नहीं करता। स्वयंसेवक चाहे सेना में सेवा करें या राजनीति में जाएं, इससे संगठन की स्वतंत्र पहचान पर कोई प्रश्न नहीं उठता।


संवेदनशील मुद्दे

मोहन भागवत का कोलकाता से दिया गया हिंदू एकता का संदेश आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। हालांकि, मौलाना साजिद रशीदी हिंदुस्तान में मुस्लिमों की एकजुटता की बात कर रहे हैं, जिससे मामला एक अलग दिशा में जा रहा है। यह मोड़ सबसे संवेदनशील है। यदि हर आह्वान का जवाब केवल प्रतिआह्वान से दिया गया, तो समाधान की जगह टकराव बढ़ेगा। एकजुटता का अर्थ दीवारें खड़ी करना नहीं, बल्कि अन्याय के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना है। भागवत का भाषण इस मजबूती का संकेत देता है।