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कैराना में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए पुलिस का सत्यापन अभियान

उत्तर प्रदेश के कैराना में पुलिस ने अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए एक व्यापक सत्यापन अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत नाहिद कॉलोनी में 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के पीड़ितों के घरों का दौरा किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया में निवासियों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है। हालांकि, अब तक कोई संदिग्ध व्यक्ति नहीं मिला है। पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर में भी औद्योगिक क्षेत्रों में सत्यापन कार्य तेज किया गया है। जानें इस अभियान के पीछे का उद्देश्य और इसके प्रभाव।
 

पुलिस का अभियान कैराना में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए

उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना कस्बे में मुजफ्फरनगर दंगा प्रभावितों की कॉलोनी में अवैध प्रवासियों की पहचान हेतु पुलिस ने घर-घर जाकर सत्यापन करने का निर्णय लिया। अधिकारियों ने शनिवार को इस संबंध में जानकारी साझा की।


अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार को नाहिद कॉलोनी में यह सत्यापन कार्य किया गया, जहां 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान लंक, बहावदी और फुगाना जैसे गांवों से विस्थापित लगभग 300 परिवारों को बसाया गया था।


पुलिस ने बताया कि सत्यापन प्रक्रिया के दौरान निवासियों के आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और परिवार के विवरण की जांच की गई। कैराना के क्षेत्राधिकारी हिमांशु कुमार ने मीडिया से कहा कि यह अभियान रोहिंग्या या बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान के लिए था, लेकिन अब तक कोई संदिग्ध व्यक्ति नहीं मिला है।


कॉलोनी के निवासी नूर हसन ने बताया कि सभी परिवार पहले ही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) फॉर्म भरकर कैराना में बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) को जमा कर चुके हैं। इस बीच, पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर में पुलिस ने औद्योगिक क्षेत्रों में सत्यापन कार्य को तेज कर दिया है।


इस अभियान में विशेष रूप से फैक्टरियों में काम करने वाले श्रमिकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्राधिकारी सिद्धार्थ मिश्रा ने कहा कि पुलिस टीमों ने जिले में कई कागज मिलों और इस्पात कारखानों में श्रमिकों के रिकॉर्ड की जांच की। फैक्टरी मालिकों को निर्देश दिया गया है कि वे श्रमिकों का पूरा विवरण रखने के लिए एक रजिस्टर तैयार करें।


पुलिस ने बताया कि यह सत्यापन अभियान एक व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उचित दस्तावेजीकरण सुनिश्चित करना और अवैध प्रवासियों की पहचान करना है। 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और हजारों लोग विस्थापित हुए थे, जिनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से थे।