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केजरीवाल पर बीजेपी का नया आरोप: पंजाब के संसाधनों का निजी उपयोग

दिल्ली बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि वे पंजाब सरकार के संसाधनों का उपयोग अपनी व्यक्तिगत विलासिता के लिए कर रहे हैं। पार्टी ने चंडीगढ़ में केजरीवाल के लिए बनाए गए 'सात सितारा सरकारी बंगले' का जिक्र किया है। इस विवाद में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया है। जानें इस राजनीतिक विवाद के पीछे की सच्चाई और केजरीवाल की छवि पर इसका प्रभाव।
 

बीजेपी का हमला

आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली बीजेपी ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का कहना है कि केजरीवाल पंजाब सरकार के संसाधनों का उपयोग अपनी व्यक्तिगत विलासिता के लिए कर रहे हैं। बीजेपी ने दावा किया है कि चंडीगढ़ के सेक्टर-2 में केजरीवाल के लिए दो एकड़ में फैला एक 'सात सितारा सरकारी बंगला' तैयार किया गया है।


सामाजिक मीडिया पर आरोप

दिल्ली बीजेपी ने एक्स (X) पर एक उपग्रह तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "दिल्ली का शीशमहल छोड़कर अब पंजाब में एक और शानदार शीशमहल तैयार किया गया है।" बीजेपी ने केजरीवाल को 'पंजाब का सुपर सीएम' करार देते हुए कहा कि जो व्यक्ति खुद को 'आम आदमी' कहता है, वह अब 'सत्ता की विलासिता' का प्रतीक बन गया है।


स्वाति मालीवाल का बयान

केजरीवाल पर आरोप लगाने में केवल बीजेपी ही नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी सोशल मीडिया पर वही तस्वीर साझा की। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने हाल ही में सरकारी संसाधनों का निजी राजनीतिक उपयोग किया। मालीवाल ने लिखा, "कल उन्होंने इसी घर के सामने से सरकारी हेलिकॉप्टर में सवार होकर अंबाला तक यात्रा की और वहां से पंजाब सरकार के निजी विमान से गुजरात चले गए।"


पार्टी का बचाव

आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया है। पार्टी का कहना है कि बीजेपी, दिल्ली की बिगड़ती कानून-व्यवस्था और बेरोजगारी से ध्यान भटकाने के लिए बार-बार 'शीशमहल' मुद्दा उठा रही है। केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद इस साल की शुरुआत में फ्लैगस्टाफ रोड का आवास खाली कर दिया था और अब वह नई दिल्ली के फिरोजशाह रोड स्थित सांसद आवास में रह रहे हैं।


राजनीतिक छवि का संकट

अरविंद केजरीवाल राजनीति में 'आम आदमी' की पहचान बनकर उभरे थे। उनकी सादगी, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार विरोधी छवि ही उनकी राजनीतिक पूंजी थी। लेकिन अब वही छवि बार-बार 'शीशमहल' और 'विलासिता' के प्रतीकों में उलझती जा रही है। चाहे दिल्ली का 'शीशमहल विवाद' हो या अब पंजाब के संसाधनों के उपयोग का आरोप— यह केवल राजनीतिक विवाद नहीं बल्कि राजनीतिक विश्वास का संकट भी है।


आगे की राह

अगर इन आरोपों में थोड़ी भी सच्चाई है, तो यह उस नैतिक ऊँचाई को गिराने जैसा है जिस पर 'आम आदमी पार्टी' ने अपने आंदोलन की इमारत खड़ी की थी। वहीं, यदि यह केवल राजनीतिक हमला है, तो केजरीवाल को तथ्यों के साथ पारदर्शी जवाब देकर अपनी साख बचानी होगी। मौन रहना इस बार 'राजनीतिक स्वीकारोक्ति' के समान माना जाएगा। ऐसे विवाद जनता के बीच यह सवाल खड़ा करते हैं कि क्या सत्ता में आने के बाद हर 'आम आदमी' अंततः 'विशेष' बन ही जाता है?