केजरीवाल का अमित शाह पर तीखा हमला, जेल से सरकार चलाने का किया दावा
केजरीवाल का अमित शाह पर पलटवार
नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हालिया इंटरव्यू पर तीखा हमला किया है। शाह ने 130वें संशोधन विधेयक के संदर्भ में केंद्र सरकार के निर्णय का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि यह कानून लागू होता, तो केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ता। इस पर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता ने बीजेपी पर जोरदार हमला किया। केंद्र द्वारा पेश किए गए नए विधेयक में गंभीर आपराधिक मामलों में 30 दिन तक जमानत न मिलने पर पीएम और सीएम को हटाने का प्रावधान है। आम आदमी पार्टी इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रही है और जेपीसी के बायकॉट का भी ऐलान कर चुकी है।
क्या भ्रष्टाचार के आरोपी को पद पर रहना चाहिए?
गृहमंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि क्या भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को जेल से सरकार चलाना उचित है? उन्होंने यह भी कहा कि यदि यह कानून लागू होता, तो केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ता। इस पर केजरीवाल ने शाह को जवाब देते हुए लिखा, 'क्या ऐसे मंत्री और प्रधानमंत्री को भी अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए?'
झूठे आरोपों का मुद्दा
केजरीवाल ने यह भी कहा कि यदि किसी पर झूठा केस लगाया जाए और वह बाद में निर्दोष साबित हो जाए, तो उस पर झूठा केस लगाने वाले मंत्री को कितनी सजा मिलनी चाहिए? उन्होंने याद दिलाया कि वह दिल्ली शराब घोटाले में 160 दिनों तक तिहाड़ जेल में रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया।
संविधान निर्माताओं की चिंता
अमित शाह ने कहा कि जब संविधान बना था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि कोई मुख्यमंत्री जेल में रहकर भी अपने पद पर बना रहेगा। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने भी नैतिक आधार पर केजरीवाल को इस्तीफा देने की सलाह दी थी, लेकिन कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
जेल से सरकार चलाने का दावा
केजरीवाल ने कहा कि जेल में रहते हुए उनकी सरकार दिल्ली की मौजूदा बीजेपी सरकार से बेहतर थी। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने जेल से ही 160 दिनों तक सरकार चलाई।
बीजेपी का जवाब
बीजेपी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने केजरीवाल के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि क्या एक मुख्यमंत्री जेल से बैठकों का आयोजन कर सकता है? उन्होंने कहा कि यह नैतिकता और व्यावहारिकता दोनों दृष्टिकोण से असंभव है।