केंद्र सरकार के 8वें वेतन आयोग की अधिसूचना से पेंशनरों में हड़कंप
8वें वेतन आयोग की अधिसूचना का प्रभाव
हाल ही में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग की शर्तों और दायरे की अधिसूचना जारी की है, जिससे 69 लाख पेंशनरों में चिंता का माहौल है। एक प्रमुख कर्मचारी संगठन ने आरोप लगाया है कि इस अधिसूचना में पेंशनरों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।
7वें वेतन आयोग में पेंशनरों के लिए क्या था?
2014 में स्थापित 7वें वेतन आयोग की शर्तों में स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि यह आयोग रिटायर कर्मचारियों की पेंशन और रिटायरमेंट लाभों की समीक्षा करेगा। इसमें यह भी कहा गया था कि रिटायर कर्मचारियों के लाभों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। इसके साथ ही, यह ध्यान रखा गया था कि 1 जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों की पेंशन नई पेंशन योजना (NPS) के तहत आएगी।
8वें वेतन आयोग में पेंशनरों का क्या हुआ?
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने 3 नवंबर को 8वें वेतन आयोग की शर्तें जारी कीं, लेकिन इसमें पेंशन और रिटायरमेंट लाभों की समीक्षा का कोई उल्लेख नहीं है। इसका मतलब है कि 7वें वेतन आयोग में पेंशनरों के लिए जो प्रावधान थे, उन्हें इस बार पूरी तरह हटा दिया गया है। यह 69 लाख केंद्रीय सरकारी पेंशनरों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ा झटका है।
AIDEF का विरोध
ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉयीज फेडरेशन (AIDEF) ने इस मुद्दे पर कड़ा विरोध जताया है। संगठन ने 4 नवंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर 8वें वेतन आयोग की शर्तों में बदलाव की मांग की है। AIDEF का कहना है कि जिन 69 लाख पेंशनरों ने देश की सेवा की है, उन्हें इस तरह नजरअंदाज करना अनुचित है।
AIDEF की अन्य मांगें
AIDEF ने अपने पत्र में कुछ अन्य सुझाव भी दिए हैं, जैसे कि:
- 11 साल बाद पेंशन की कटी हुई राशि को फिर से बहाल करने की व्यवस्था हो।
- संसदीय समिति की सिफारिशों के अनुसार, रिटायरमेंट के बाद हर 5 साल में पेंशन में 5% की बढ़ोतरी हो।
सरकार की प्रतिक्रिया
इन आरोपों के बीच केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 28 अक्टूबर को कहा था कि 8वां वेतन आयोग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ 69 लाख पेंशनरों को भी कवर करेगा। लेकिन AIDEF के आरोपों ने इस बयान पर सवाल उठाए हैं। संगठन ने अपने पत्र की एक प्रति नेशनल काउंसिल-ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी के स्टाफ साइड सचिव को भी भेजी है।
आगे की स्थिति
पेंशनरों के लिए यह मामला अत्यंत महत्वपूर्ण है। AIDEF की मांगों और सरकार के बयानों के बीच सच्चाई क्या है, यह आने वाले समय में स्पष्ट हो सकता है। लेकिन फिलहाल, लाखों पेंशनरों की नजर इस बात पर है कि क्या सरकार उनकी मांगों को सुनने के लिए तैयार है।