केंद्र सरकार का 'I Love Mohammad' कैंपेन पर ध्यान, बड़े अभियान की योजना
केंद्र सरकार की सतर्कता
‘I Love Mohammad’ कैंपेन पर सरकार की नजर
केंद्र सरकार ने उत्तर और पश्चिम भारत के विभिन्न राज्यों में 'I Love Mohammad' नारे को लेकर सतर्कता बरतने का निर्णय लिया है। सरकार का मानना है कि इस मुद्दे पर कोई तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है, लेकिन स्थिति को नियंत्रण में रखना आवश्यक है।
सरकार चाहती है कि इस विषय से संबंधित सही जानकारी लोगों तक पहुंचे, जिसके लिए एक व्यापक अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है। समाज के शिक्षित वर्ग से संवाद किया जाएगा ताकि वे युवाओं को सही संदेश दे सकें।
सरकार का उद्देश्य है कि मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवी, धार्मिक नेता और विशेषज्ञ इस मुद्दे पर लोगों को समझाएं। इस पर सरकार के उच्च स्तर पर भी चर्चा की गई है।
समाज के बुद्धिजीवियों की भूमिका
इंटेलेक्चुअल, धर्मगुरु, जानकारों को आगे करने की तैयारी
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यदि ये प्रदर्शन बढ़ते हैं और कानून व्यवस्था के लिए खतरा बनते हैं, तो समाज के लोगों को पहल करनी चाहिए। मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों और धार्मिक नेताओं की तकरीरों का प्रभावी होना आवश्यक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि 'I Love Mohammad' के बजाय 'I Pray Mohammad' का नारा आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है।
सत्ताधारी दल की हिदायतें
सत्ताधारी दल के नेताओं को हिदायत
सत्ताधारी दल ने अपने नेताओं को इस मुद्दे पर चुप रहने की सलाह दी है। बीजेपी नेताओं को निर्देशित किया गया है कि वे 'I Love Mohammad' पर कोई टिप्पणी न करें। सरकार नहीं चाहती कि यह मुद्दा बड़ा बने, क्योंकि इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि प्रभावित हो सकती है।
हाल के हफ्तों में 'I Love Mohammad' अभियान को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में विवाद और तनाव की स्थिति बनी रही। यह मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर से शुरू हुआ, जहां पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन पर 'I Love Mohammad' के पोस्टर लगाए गए थे।
राज्यों में फैलाव
यूपी के बाद कई राज्यों में पहुंचा
इसके बाद यह मुद्दा यूपी के बरेली, बाराबंकी, मऊ, उन्नाव, उत्तराखंड (काशीपुर), महाराष्ट्र (लातूर, नागपुर), और कर्नाटक (दावणगेरे) तक फैल गया, जहां झड़पें और प्रदर्शन हुए। प्रशासन की कार्रवाई का विरोध भी किया जा रहा है। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने इसे असंवैधानिक बताया है और कहा है कि पैगंबर मोहम्मद के प्रति प्रेम जताना मौलिक अधिकार है।