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कुंभ मेले में खोए परिवार का सदस्य मिला, अघोरी बाबा की पहचान पर उठे सवाल

प्रयागराज के कुंभ मेले में एक परिवार ने अपने खोए हुए सदस्य गंगासागर यादव को पहचानने का दावा किया है। 27 साल पहले लापता हुए गंगासागर अब अघोरी बाबा बन चुके हैं। परिवार ने उनकी पहचान को लेकर सवाल उठाए हैं और डीएनए टेस्ट की मांग की है। जानें इस दिलचस्प मामले की पूरी कहानी और परिवार की भावनाएं।
 

कुंभ मेले में परिवार की खोज


प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले ने एक परिवार को अपने खोए हुए सदस्य से मिलाने का अवसर प्रदान किया है। झारखंड के धनबाद जिले के एक परिवार ने 29 जनवरी को दावा किया कि उन्हें गंगासागर यादव, जो 27 साल पहले लापता हो गए थे, कुंभ मेले में मिल गए हैं।


अब 65 वर्षीय गंगासागर अघोरी बाबा बन चुके हैं। उन्होंने लगभग तीन दशक पहले अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों को छोड़कर घर से भागने का निर्णय लिया था।


परिवार का कहना है कि गंगासागर 1998 में पटना जाने के बाद अचानक गायब हो गए थे, जिसके बाद उनकी पत्नी धनवा देवी ने अकेले ही अपने दो बेटों, कमलेश और विमलेश का पालन-पोषण किया।


शरीर पर चोट के निशान


गंगासागर के छोटे भाई मुरली यादव ने बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वे कभी अपने भाई को फिर से देख पाएंगे। लेकिन एक रिश्तेदार ने कुंभ मेले में गंगासागर जैसे दिखने वाले व्यक्ति की तस्वीर भेजी। परिवार ने तुरंत मेले में जाकर बाबा राजकुमार से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान से इनकार करते हुए खुद को वाराणसी का साधु बताया। हालांकि, परिवार ने उनके लंबे दांत, माथे पर चोट के निशान और घुटने पर पुराने घाव के आधार पर उन्हें गंगासागर के रूप में पहचाना।


डीएनए टेस्ट की मांग


गंगासागर की पत्नी धनवा देवी और मुरली यादव ने कुंभ मेले की पुलिस को इस मामले की जानकारी दी और बाबा राजकुमार से डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है। मुरली ने कहा कि वे कुंभ मेले के समाप्त होने तक इंतजार करेंगे और यदि आवश्यक हुआ तो डीएनए टेस्ट कराएंगे। यदि टेस्ट में उनका दावा गलत साबित होता है, तो वे बाबा राजकुमार से माफी मांगने के लिए तैयार हैं। लेकिन यदि टेस्ट से उनका दावा सही साबित होता है, तो वे कानूनी कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं।