किसान मजदूर संघर्ष समिति ने एमजीएनआरईजीए में बदलावों पर उठाए सवाल
किसान मजदूर संघर्ष समिति का आरोप
किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के नेता सतनाम सिंह पन्नू ने मंगलवार को यह आरोप लगाया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनआरईजीए) को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह योजना ग्रामीण और श्रमिक परिवारों के लिए आजीविका सुरक्षा के अपने मूल उद्देश्य से भटक रही है। पन्नू ने बताया कि 2005 में शुरू होने के बाद से एमजीएनआरईजीए एक अधिकार-आधारित कार्यक्रम के रूप में कार्य करता रहा है, लेकिन हाल के बदलावों ने इसकी संरचना को प्रभावित किया है।
उन्होंने देशभर में जारी किए गए 26 करोड़ जॉब कार्डों के आंकड़ों का उल्लेख किया, जिनमें से 12 करोड़ लाभार्थियों को रोजगार मिला है। पंजाब में 20 लाख जॉब कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से 11 लाख श्रमिकों को रोजगार प्राप्त हुआ है।
संरचना में बदलाव का आरोप
पन्नू ने कहा कि केंद्र सरकार ने एमजीएनआरईजीए की संरचना में मौलिक बदलाव किए हैं, जिससे इसके मूल उद्देश्यों को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम सभाओं और पंचायतों की शक्तियों को कम किया गया है, जो पहले गांवों में विकास कार्यों का निर्णय करती थीं।
उन्होंने बताया कि एमजीएनआरईजीए की प्रमुख विशेषताओं में से एक यह थी कि ग्राम सभा और पंचायतों को गांवों में विकास कार्यों की प्रकृति तय करने का अधिकार था। इनमें तालाबों की गाद निकालना, नहरें खोदना, वृक्षारोपण अभियान, सिंचाई कार्य और मिट्टी भरने जैसे कार्य शामिल थे।
निधि अनुपात में बदलाव
पन्नू ने यह भी कहा कि निधि अनुपात को 90:10 से बदलकर 60:40 करने से राज्यों के लिए इस योजना को जारी रखना कठिन हो गया है। पहले केंद्र सरकार का योगदान 90 प्रतिशत और राज्य सरकारों का 10 प्रतिशत था, लेकिन अब इसे संशोधित कर 60:40 कर दिया गया है, जिससे राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है।