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किरन रिजिजू ने जामिया मिलिया इस्लामिया के स्थापना दिवस पर उर्दू की प्रशंसा की

किरन रिजिजू ने जामिया मिलिया इस्लामिया के 105वें स्थापना दिवस पर उर्दू को दुनिया की सबसे खूबसूरत भाषा बताया और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रणाली और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना की। रिजिजू ने संसद में बहस के महत्व और संविधान की शक्ति पर भी प्रकाश डाला। इस समारोह में उन्होंने भारत की विविधता और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की जिम्मेदारी पर भी चर्चा की।
 

उर्दू की खूबसूरती और एकता का संदेश

उर्दू को दुनिया की सबसे सुंदर भाषा मानते हैं… यह विचार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू का है। उन्होंने देश की एकता और प्रगति के लिए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव की आवश्यकता पर जोर दिया। बुधवार (29 अक्टूबर) को, रिजिजू ने दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के 105वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया और इस अवसर पर एकता और अखंडता के महत्व पर प्रकाश डाला।


इस समारोह में बोलते हुए, मंत्री रिजिजू ने उर्दू को दुनिया की सबसे खूबसूरत भाषा बताया। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति और एकता के लिए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव आवश्यक है। उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रशंसा की, जो भारत की संस्कृति और लोकतांत्रिक भावना को दर्शाता है।


विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य और महान हस्तियों का योगदान

‘विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य राष्ट्र के मूल्यों को दर्शाता है’


मंत्री ने कहा कि जामिया मिलिया इस्लामिया का आदर्श वाक्य हमारे राष्ट्र के मूल्यों को सुंदरता से प्रस्तुत करता है। उन्होंने यह भी बताया कि महात्मा गांधी और सरोजिनी नायडू जैसी महान हस्तियों ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना के समय इसका समर्थन किया था। इस दौरान, उन्होंने विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रणाली की भी सराहना की।


अकादमिक उत्कृष्टता और लोकतंत्र में बहस का महत्व

‘अकादमिक रिकॉर्ड और राष्ट्रीय रैंकिंग से बेहद प्रभावित’


रिजिजू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन की सराहना करते हुए कहा कि वह इसके अकादमिक रिकॉर्ड और राष्ट्रीय रैंकिंग से बहुत प्रभावित हैं। लोकतंत्र में खुली बहस के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारे लोकतंत्र में लोग अपने विचारों को स्वतंत्रता से व्यक्त करते हैं, जिससे कभी-कभी ध्रुवीकरण होता है। लेकिन यह तब तक बुरा नहीं है जब तक कि इससे देश की एकता और अखंडता को नुकसान न हो।’


संविधान और विविधता का महत्व

संवैधानिक शक्ति और विविधता पर भी जोर


रिजिजू ने अपने संबोधन में कहा कि संसद में अक्सर शोर-शराबे वाली बहसें होती हैं, फिर भी यह विविध विचारों को व्यक्त करने का सबसे अच्छा मंच है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री के रूप में सदन चलाना कभी-कभी चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन संसद में अराजकता एक जीवंत लोकतंत्र की पहचान है।


मंत्री ने कहा कि व्यवधानों के बावजूद, महत्वपूर्ण कानून अंततः राष्ट्रहित में पारित होते हैं। उन्होंने भारत की संवैधानिक शक्ति और विविधता पर भी जोर दिया, यह कहते हुए कि संविधान के कारण हम सुरक्षित रहेंगे, क्योंकि यह समस्या के हर पहलू को शामिल करता है और उसका समाधान प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक सद्भाव बनाए रखना एक सामूहिक जिम्मेदारी है।