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काशी से गंगाजल न लाने के पीछे की धार्मिक मान्यता

काशी, भगवान शिव की नगरी, से गंगाजल न लाने की परंपरा के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं हैं। यहां के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताएं और मृत आत्माओं की मुक्ति से जुड़ी मान्यताएं इस परंपरा को महत्वपूर्ण बनाती हैं। जानें क्यों काशी से गंगाजल लाना मना है और इसके पीछे की धार्मिक वजहें क्या हैं।
 

काशी से गंगाजल न लाने का कारण

काशी से गंगाजल न लाने का कारण

Kashi Se Gangajal Kyu Nahi Late: काशी, जो भगवान शिव की पवित्र नगरी मानी जाती है, यहां विश्वनाथ भगवान की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है और यह गंगा के किनारे बसी हुई है। इसे वाराणसी भी कहा जाता है, जो एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। काशी को मोक्ष की नगरी के रूप में भी जाना जाता है।

यहां पर लोग आमतौर पर हरिद्वार और प्रयागराज से गंगाजल लाते हैं, जिसे शुभ माना जाता है। हालांकि, वाराणसी से गंगाजल लाने पर रोक है। इसके पीछे एक खास कारण है। आइए जानते हैं कि काशी से गंगाजल क्यों नहीं लाया जाता है।

काशी से गंगाजल न लाने का कारण

काशी में मणिकर्णिका घाट स्थित है, जहां हमेशा चिताएं जलती रहती हैं और मृतकों की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया जाता है। मान्यता है कि इससे मृत आत्माओं को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। इसलिए, काशी से गंगाजल लाने पर मना किया जाता है, क्योंकि ऐसा करने से अनजाने में मृत आत्माओं के अवशेष जल में आ सकते हैं, जिससे उनकी मुक्ति में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

एक और मान्यता

इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि इस स्थान पर गंगाजल को कई जानवर छूते हैं, जो मोक्ष की तलाश में भटकते रहते हैं। यहां तांत्रिक अनुष्ठान और मोक्ष कर्म भी होते हैं। इसलिए, काशी से गंगाजल लाने से नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। कहा जाता है कि काशी से गंगाजल या मिट्टी लाने से पाप लगता है।

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(इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. मीडिया चैनल इसकी पुष्टि नहीं करता है.)