काले गेहूं का आटा: स्वास्थ्य के लिए एक अनोखा विकल्प
रांची में काले गेहूं के आटे की विशेषताएँ
रांची। शरीर को डिटॉक्स करना कई लोगों के लिए एक कठिन कार्य हो सकता है, क्योंकि इसके लिए सख्त आहार का पालन करना पड़ता है। तेल और मसालों से बचना पड़ता है, और कभी-कभी केवल फलों पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन अब, आप रोटी खाकर भी अपने शरीर को डिटॉक्स कर सकते हैं। हम आपको एक विशेष आटे के बारे में बताने जा रहे हैं, जो शरीर की गंदगी को बाहर निकालने में मदद करता है।
यह आटा काले गेहूं का है, जो झारखंड की राजधानी रांची के पास नगरी गांव में उगाया जाता है। यहां के किसान इस गेहूं की अच्छी फसल लेते हैं और इसे पीसकर शहर में या विशेष मेलों में बेचते हैं। इस क्षेत्र की मिट्टी में उगने वाला काला गेहूं विशेष माना जाता है।
एडवांस बुकिंग की प्रक्रिया
काले गेहूं की खेती करने वाली नीलम देवी बताती हैं कि उनके पास के खेत में काले गेहूं की फसल होती है। जैसे ही गेहूं तैयार होता है, इसकी एडवांस बुकिंग शुरू हो जाती है। खासकर वे लोग जो अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं, इस आटे की रोटी खाना पसंद करते हैं। इस आटे से बना हलवा भी बहुत स्वादिष्ट होता है।
कीमत और लाभ
नीलम देवी आगे बताती हैं कि गेहूं को पीसकर वे इसका आटा बनाते हैं और इसे शहर में या खादी मेले में बेचते हैं। 1 किलोग्राम आटे की कीमत लगभग ₹100 होती है, लेकिन लोग एक बार में 5-6 किलोग्राम खरीद लेते हैं। यह आटा शरीर को डिटॉक्स करने और वजन कम करने में मदद करता है, साथ ही हड्डियों को भी मजबूत बनाता है।
सेवन की सलाह
रांची के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. वीके पांडे ने बताया कि काले गेहूं के आटे में उच्च मात्रा में आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, और विभिन्न विटामिन्स जैसे B16, B12, A, और E होते हैं। इसमें उच्च फाइबर भी होता है, जो वजन घटाने में सहायक है और शरीर को डिटॉक्स करता है। हालांकि, इसे हर दिन नहीं खाना चाहिए, बल्कि सप्ताह में दो या तीन बार ही सेवन करना चाहिए, क्योंकि उच्च फाइबर के कारण कब्ज की समस्या हो सकती है।