कार्तिक पूर्णिमा 2025: गंगा स्नान का धार्मिक महत्व और तिथि
कार्तिक पूर्णिमा 2025
कार्तिक पूर्णिमा 2025
गंगा स्नान का महत्व: कार्तिक पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, व्रत, दान और दीपदान की परंपरा का पालन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन ये सभी कार्य करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। गंगा तट पर दीपदान करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर को रात 11:37 बजे प्रारंभ होगी और 5 नवंबर को शाम 6:49 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, 5 नवंबर को सूर्योदय के साथ पूर्णिमा तिथि विद्यमान रहेगी। शाम को भी पूर्णिमा का प्रभाव रहेगा, इसलिए इसे 5 नवंबर को मनाया जाएगा। इसी दिन व्रत का आयोजन किया जाएगा।
गंगा स्नान का धार्मिक महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। धार्मिक ग्रंथों में इस दिन गंगा स्नान को पुण्यदायी माना गया है। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है, आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन आत्मशुद्धि, मोक्ष और ईश्वरीय कृपा का प्रतीक है। इस स्नान से जीवन में शुभता का संचार होता है।
भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार
मान्यता है कि ब्रह्म मुहूर्त में गंगा, यमुना, गोदावरी या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के दुख समाप्त हो जाते हैं। इस दिन स्नान करने से आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है। शांति, संतुलन और भक्ति की भावना जागृत होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में अवतार लिया था। मत्स्य अवतार विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में पहला है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और गंगा स्नान का विशेष महत्व है।