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काम्या कार्तिकेयन ने दक्षिण ध्रुव तक स्कीइंग कर रचा इतिहास

काम्या कार्तिकेयन ने महज 18 साल की उम्र में दक्षिण ध्रुव तक स्कीइंग कर एक नया इतिहास रचा है। भारतीय नौसेना के कमांडर की बेटी, काम्या ने इस साहसिक कार्य के लिए बधाई प्राप्त की है। जानें उनके अद्वितीय साहस और उपलब्धियों के बारे में, जो न केवल भारत का नाम रोशन करती हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करती हैं।
 

काम्या का अद्वितीय साहस

कहते हैं कि जहां चाह होती है, वहां राह भी होती है। काम्या कार्तिकेयन ने इस कहावत को सच साबित करते हुए अपने हौसले और जज्बे से एक नई मिसाल पेश की है। मुंबई के नेवी चिल्ड्रन स्कूल की पूर्व छात्रा, काम्या ने केवल 18 वर्ष की आयु में दक्षिण ध्रुव तक स्कीइंग कर भारत का नाम रोशन किया है।


काम्या कार्तिकेयन भारत की पहली और विश्व की दूसरी सबसे कम उम्र की महिला हैं, जिन्होंने यह विशेष उपलब्धि हासिल की है। भारतीय नौसेना ने उनके इस अद्वितीय कार्य के लिए उन्हें और उनके पिता को बधाई दी है। काम्या को 2021 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके कार्यों की प्रशंसा भी की।


पिता की प्रेरणा

काम्या, भारतीय नौसेना में सेवा दे रहे कमांडर एस. कार्तिकेयन की बेटी हैं। वह नौसेना बाल विद्यालय की पूर्व छात्रा हैं। भारतीय नौसेना ने उनके इस साहसिक कार्य के लिए उन्हें बधाई दी है, क्योंकि उन्होंने दक्षिण ध्रुव तक स्कीइंग कर एक नया इतिहास रचा है।


नौसेना की सराहना

नौसेना ने सोशल मीडिया पर काम्या की तस्वीरें साझा करते हुए उनके साहस की प्रशंसा की। काम्या ने -30 डिग्री सेल्सियस के तापमान और तेज हवाओं का सामना करते हुए, 89 डिग्री दक्षिण से लगभग 60 समुद्री मील (लगभग 115 किमी) की दूरी तय की। उन्होंने 27 दिसंबर 2025 को दक्षिण ध्रुव पर पहुंचकर अपनी यात्रा को सफल बनाया।


नौसेना ने अपनी पोस्ट में लिखा कि काम्या पर्वतारोहण की प्रतिभा के साथ एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम को पूरा करने की दिशा में अग्रसर हैं, जिसमें सभी सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ना और दोनों ध्रुवों तक स्कीइंग करना शामिल है।


सेवन समिट्स चैलेंज

काम्या ने पहले ही सेवन समिट्स चैलेंज पूरा किया है, जिसमें नेपाल से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय और विश्व की दूसरी सबसे कम उम्र की महिला बनने का कारनामा भी शामिल है। उनकी यह उपलब्धि निश्चित रूप से उनकी पीढ़ी के कई लोगों को प्रेरित करेगी।


भारतीय नौसेना ने अंत में कहा कि वे काम्या को उत्तरी ध्रुव पर विजय प्राप्त करने के इस अंतिम पड़ाव पर सफलता की शुभकामनाएं देते हैं।