कांवड़ यात्रा की तैयारी: मेरठ में डीजे संचालकों के साथ बैठक
कांवड़ यात्रा का महत्व
नारंगी कपड़े पहने भक्त गंगा के पवित्र जल को इकट्ठा करने के लिए बर्तन लेकर चलते हैं, ताकि वे इसे भगवान शिव को अर्पित कर सकें। कांवड़ यात्रा, जो कि शिव भक्तों द्वारा की जाने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है, सावन के महीने में होती है, जो जुलाई और अगस्त के बीच आता है। इस दौरान लाखों भक्त, जिन्हें कांवरिया कहा जाता है, गंगा नदी से जल लेकर अपने घर लौटते हैं और इसे शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। यह यात्रा उनकी आस्था और तपस्या का प्रतीक है। हालांकि, कई बार कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे की तेज आवाज, ट्रैफिक जाम और अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
मेरठ में डीजे संचालकों के साथ बैठक
आगामी श्रावण मास में कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण आयोजन के लिए मेरठ पुलिस और प्रशासन ने मंगलवार को डीजे संचालकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में, जो पुलिस लाइन के सभागार में हुई, अधिकारियों ने निर्देश दिए कि यात्रा के दौरान आपत्तिजनक और भड़काऊ गाने नहीं बजाए जाएंगे। बैठक में लगभग 200 डीजे संचालकों ने भाग लिया।
अधिकारियों ने डीजे संचालकों को बताया कि उन्हें 12 फुट से अधिक ऊंचे और 14 फुट से ज्यादा चौड़े डीजे वाहनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, यात्रा के दौरान अश्लील या भड़काऊ गीतों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निर्धारित ध्वनि सीमा का पालन करना अनिवार्य होगा और रात 11 बजे के बाद डीजे चलाने की अनुमति नहीं होगी।
बैठक में सभी डीजे संचालकों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 168 के तहत औपचारिक नोटिस भी दिए गए। अधिकारियों ने सभी पक्षों से सहयोग की अपील की ताकि कांवड़ यात्रा शांति और सुव्यवस्था के साथ संपन्न हो सके। श्रावण मास 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा।