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कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने हिंदी शब्दों के उपयोग पर उठाए सवाल

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने विधेयकों के शीर्षकों में हिंदी शब्दों के उपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति की आलोचना की है। उन्होंने इसे गैर-हिंदी भाषी लोगों के लिए अपमानजनक बताया और सवाल उठाया कि जब पिछले 75 वर्षों में इस प्रथा से किसी को कोई समस्या नहीं हुई, तो बदलाव की आवश्यकता क्यों पड़ी। चिदंबरम ने सरकार के वादों पर भी चिंता व्यक्त की है कि अंग्रेजी एक सहायक आधिकारिक भाषा बनी रहेगी।
 

चिदंबरम की आलोचना

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने विधेयकों के शीर्षकों में हिंदी शब्दों के इस्तेमाल की बढ़ती प्रवृत्ति पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव गैर-हिंदी भाषी लोगों के लिए 'अपमानजनक' है।


चिदंबरम ने यह भी बताया कि ऐसे विधेयक या अधिनियम जिनके शीर्षक हिंदी में अंग्रेजी अक्षरों में लिखे गए हैं, उन्हें गैर-हिंदी भाषी लोग पहचान नहीं सकते और उनका सही उच्चारण भी नहीं कर सकते।


सरकार के बदलाव पर सवाल

सोमवार की रात, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'संसद में पेश किए जाने वाले विधेयकों के शीर्षकों में हिंदी शब्दों को अंग्रेजी अक्षरों में लिखने की प्रवृत्ति का मैं विरोध करता हूं।' उन्होंने यह भी बताया कि पहले यह प्रथा थी कि विधेयक के अंग्रेजी संस्करण में शीर्षक अंग्रेजी में और हिंदी संस्करण में हिंदी में लिखा जाता था।


75 वर्षों की प्रथा का सम्मान

चिदंबरम ने सवाल उठाया, 'जब पिछले 75 वर्षों में इस प्रथा से किसी को कोई समस्या नहीं हुई, तो सरकार को बदलाव करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?' उन्होंने यह भी कहा कि यह बदलाव उन राज्यों और गैर-हिंदी भाषी लोगों का अपमान है जिनकी आधिकारिक भाषा हिंदी के अलावा अन्य है।


उन्होंने चेतावनी दी कि सरकारें बार-बार कहती रही हैं कि अंग्रेजी एक सहायक आधिकारिक भाषा बनी रहेगी, लेकिन उन्हें डर है कि यह वादा टूटने के कगार पर है।