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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर अरावली के संरक्षण में विफलता का आरोप लगाया

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पहले से हुए नुकसान को और बढ़ा रही है। जयराम रमेश ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वीडियो को साझा करते हुए मोदी सरकार के दोगलेपन को उजागर किया। उन्होंने बताया कि सरकार का दावा है कि केवल 0.19% क्षेत्र को खनन के लिए खोला जाएगा, लेकिन यह क्षेत्र वास्तव में 68,000 एकड़ है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्या असर है।
 

अरावली पहाड़ियों पर बढ़ा विवाद

कांग्रेस नेता जयराम रमेश

अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर देशभर में चर्चा तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद कई राज्यों में इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार पहले से हुए नुकसान को और बढ़ा रही है। उनका कहना है कि अरावली पहले ही गंभीर संकट का सामना कर चुकी है, और अब सरकार इस स्थिति को और बिगाड़ रही है।

सोमवार (22 दिसंबर) को जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा साझा किए गए एक वीडियो को साझा किया, जिसमें गहलोत ने सवाल उठाया कि बीजेपी सरकार ने उस 100 मीटर के फॉर्मूले को क्यों मान्यता दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में खारिज कर दिया था।

‘गहलोत ने मोदी सरकार की सच्चाई उजागर की’

जयराम रमेश ने कहा कि अशोक गहलोत ने अरावली संरक्षण के मुद्दे पर मोदी सरकार के दोहरे मापदंड को उजागर किया है। उन्होंने कहा, ‘गहलोत जी ने सही कहा है कि मोदी सरकार अरावली को बचाने के बजाय बेचने में लगी है।’

जयराम रमेश ने आगे कहा कि मोदी सरकार का दावा है कि केवल 0.19% अरावली क्षेत्र को खनन और अन्य गतिविधियों के लिए खोला जाएगा, लेकिन यह क्षेत्र लगभग 68,000 एकड़ है, जो कि कोई छोटा क्षेत्र नहीं है। इसके टुकड़ों में बंटने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि अरावली पहले ही गंभीर नुकसान झेल चुकी है, और मोदी सरकार इस स्थिति को और बिगाड़ रही है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों को अरावली का हिस्सा माना गया है। 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली क्षेत्र नहीं मानने पर विरोध शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर इस फैसले के खिलाफ आंदोलन चल रहा है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई विपक्षी नेताओं ने कहा है कि केंद्र सरकार की सिफारिशों पर सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार को इस मामले पर पुनर्विचार करना चाहिए।