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कांग्रेस का नया नारा: '70 साल बनाम 25 साल' चुनावी रणनीति में बदलाव

कांग्रेस ने पचमढ़ी में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए '70 साल बनाम 25 साल' का नया नारा तय किया है। इस नारे के माध्यम से पार्टी अपने 70 साल के शासन और भाजपा के 25 साल के कार्यकाल की तुलना करेगी। शिविर में मतदाता सूची की निगरानी और चुनावी रणनीतियों पर भी चर्चा की गई। जानें इस रणनीति के पीछे के आंकड़े और उद्देश्य।
 

कांग्रेस का प्रशिक्षण शिविर और चुनावी रणनीति


कांग्रेस का नया नारा: '70 साल बनाम 25 साल'


पचमढ़ी में आयोजित कांग्रेस के 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में वर्तमान राजनीतिक मुद्दों के साथ-साथ आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक के बाद, कांग्रेस संगठनात्मक और कार्यप्रणाली में आवश्यक बदलाव करने की योजना बना रही है। इस दौरान, भारतीय जनता पार्टी को घेरने के लिए एक ठोस रणनीति भी बनाई जाएगी। पहले दिन की बैठक से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस अब भाजपा की तरह चुनावी मैदान में उतरेगी। इस बार कांग्रेस का मुख्य नारा होगा 'कांग्रेस के 70 साल बनाम भाजपा के 25 साल।' पहले भाजपा ने अपने चुनावी प्रचार में कांग्रेस के 70 साल बनाम भाजपा के कार्यकाल का नारा दिया था।


नारे का उद्देश्य और आंकड़े


कांग्रेस इस नारे के माध्यम से अपने 70 साल के शासन और भाजपा के 25 साल के कार्यकाल की तुलना करेगी। इसमें राज्य के कुल बजट, कर्ज, भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी, परीक्षाओं और परिवहन में भ्रष्टाचार, आबकारी व्यवस्था, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और कमजोर वर्गों पर होने वाले अत्याचार जैसे आंकड़े शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, खनन और अवैध उत्खनन के आंकड़े, सरकारी ठेकों में दोनों दलों के नेताओं की भागीदारी, भर्तियों और सरकारी कर्मचारियों की संख्या की तुलना भी की जाएगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बताया कि चुनाव से पहले इस विषय पर एक तुलनात्मक पुस्तिका भी प्रकाशित की जा सकती है।


मतदाता सूची की निगरानी


प्रशिक्षण शिविर की पहली बैठक में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मध्य प्रदेश में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन परीक्षण (एसआईआर) पर भी चर्चा की गई। कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई हर घर की एसआईआर प्रक्रिया की निगरानी करेगी। केंद्रीय नेतृत्व की उपस्थिति में गठित एसआईआर निगरानी समिति की बैठक में विस्तृत रणनीति तैयार की जाएगी। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि एसआईआर के माध्यम से राज्य में बड़ा राजनीतिक बदलाव संभव है।