कश्मीर में सुरक्षा बलों की छापेमारी के बीच बढ़ी हलचल
दिल्ली विस्फोट के बाद कश्मीर में सुरक्षा स्थिति
दिल्ली के लाल किले के निकट हुए विस्फोट के बाद कश्मीर में सुरक्षा बलों की गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। सुरक्षा बलों ने ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू कर दी है, जिसमें वे घरों में घुसकर संदिग्ध व्यक्तियों को पकड़ रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ उपयोगकर्ताओं का मानना है कि देश में एक बड़ी जंग की तैयारी चल रही है, जो तब शुरू होगी जब कट्टरपंथी पीएम मोदी को सत्ता से हटाने में सफल होंगे।
दिल्ली में हुए धमाके के बाद, सेना ने कश्मीर के कई घरों में घुसकर तलाशी ली है। इन छापों में प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और अन्य खतरनाक सामग्रियाँ बरामद की गई हैं। अब तक 1500 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है।
कश्मीर में 200 से अधिक स्थानों पर सेना ने छापेमारी की है, जो जमात इस्लामी के ठिकानों पर केंद्रित है।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई और स्थानीय प्रतिक्रिया
भारतीय सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में अवैध कब्जे के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखी है, जिसमें श्रीनगर और घाटी के अन्य क्षेत्रों में छापे और तलाशी अभियान शामिल हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और स्थानीय पुलिस ने कश्मीर घाटी और जम्मू के डोडा जिले में समन्वित तलाशी अभियान चलाया।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये छापे नई दिल्ली के राजकीय आतंकवाद का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य कश्मीरी लोगों को डराना और उनकी आत्मनिर्णय की मांग को दबाना है। स्थानीय निवासियों ने उत्पीड़न और बढ़ते भय की शिकायत की है, क्योंकि भारतीय सेनाएँ बिना किसी रोक-टोक के कार्रवाई कर रही हैं।
कश्मीर से जुड़े डॉक्टरों की स्थिति
दिलचस्प बात यह है कि फरीदाबाद के एक अस्पताल में लगभग 40% डॉक्टर कश्मीरी हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि किसी भी अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टरों का वितरण उस क्षेत्र पर निर्भर करता है। फरीदाबाद के इस अस्पताल में कश्मीर से डॉक्टरों को बुलाया गया है, जबकि कश्मीर में सेना जमात इस्लामी के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक व्यापक आतंकवाद का हिस्सा है, जिसमें पढ़े-लिखे लोग पाकिस्तान समर्थित हैंडलर्स के इशारे पर काम कर रहे हैं।