×

कश्मीर की सुरक्षा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री की उच्च स्तरीय बैठक

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उच्च स्तरीय बैठक में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा और विकास पर चर्चा की गई। बैठक में आतंकवाद के हालिया रुझानों, सीमापार घुसपैठ की साजिशों और विकास परियोजनाओं की समीक्षा की गई। अमित शाह ने आतंक वित्तपोषण के खिलाफ कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया और सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दिया। यह बैठक कश्मीर में स्थायी शांति और सामाजिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
 

केंद्र सरकार की सुरक्षा रणनीति

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा आज आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा और स्थिरता को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतने वाली है। इस बैठक में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका, जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक नलिन प्रभात और अर्धसैनिक बलों के प्रमुख अधिकारी शामिल हुए। इस समीक्षा का मुख्य विषय आतंकवाद के हालिया रुझान, सीमापार से घुसपैठ की साजिशें और सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करना था.


आतंकवाद की चुनौतियाँ

हाल के महीनों में Pir Panjal क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि चिंता का विषय बन गई है। इसीलिए, बैठक में 'शून्य घुसपैठ' के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया गया। पाकिस्तान से सक्रिय आतंकवादी तंत्र और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) तथा इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) के बीच संभावित गठजोड़ की खबरें भारत की सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती बन गई हैं। इस संदर्भ में, अमित शाह ने आतंक वित्तपोषण और नशीले पदार्थों के कारोबार से होने वाले फंड के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया।


सूचना युद्ध और प्रचार

आधुनिक आतंकवाद केवल बंदूक तक सीमित नहीं है; यह अब 'सूचना युद्ध' में भी सक्रिय है। कुछ तत्व सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत-विरोधी प्रचार फैलाकर स्थानीय युवाओं को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। इस पर काबू पाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री ने नकारात्मक प्रचार का प्रतिकार करने और जनता के सामने वास्तविक स्थिति प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर बल दिया। यह न केवल सुरक्षा का मुद्दा है, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक और वैचारिक लड़ाई भी है, जिसमें पारदर्शिता और सूचना की सटीकता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


विकास परियोजनाओं की समीक्षा

बैठक में विकास परियोजनाओं की समीक्षा को भी उतनी ही गंभीरता से लिया गया, जितनी सुरक्षा को। इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि दीर्घकालिक शांति और सामाजिक स्थिरता के दृष्टिकोण से देख रही है। सड़क, शिक्षा, रोजगार और पर्यटन से जुड़े प्रोजेक्ट्स की प्रगति का मूल्यांकन यह दर्शाता है कि 'विकास और सुरक्षा' अब एक-दूसरे के पूरक हैं।


सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता

अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने जिस तेजी से प्रतिक्रिया दी, उसने यह साबित कर दिया कि आतंक को समाप्त करने का संकल्प अब केवल शब्द नहीं, बल्कि नीति बन चुका है। केंद्रीय गृह मंत्री ने एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और सूचना-साझेदारी पर जोर दिया, जो किसी भी सुरक्षा रणनीति की प्रभावशीलता के लिए आवश्यक है।


कश्मीर की सुरक्षा स्थिति का समग्र मूल्यांकन

कश्मीर की सुरक्षा स्थिति का मूल्यांकन केवल वर्तमान घटनाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए; यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा की व्यापक रणनीति, सीमा प्रबंधन, स्थानीय प्रशासनिक दक्षता और नागरिक सहभागिता शामिल हैं। केंद्र की नीति का वर्तमान स्वरूप— 'आतंक पर कठोरता और विकास पर निरंतरता', इसी संतुलन को साधने का प्रयास है।


बैठक का संदेश

अमित शाह की बैठक का संदेश स्पष्ट है: आतंकवाद के किसी भी रूप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जम्मू-कश्मीर के लोगों को भय-मुक्त वातावरण प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि विकास की धारा रुकने न पाए, ताकि घाटी में स्थायी शांति की जड़ें और गहरी हों। आज का जम्मू-कश्मीर सुरक्षा और स्थिरता की नई कहानी लिख रहा है। इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक दक्षता और जनता का विश्वास— तीनों का समन्वय अनिवार्य है। अमित शाह की यह बैठक उसी दिशा में एक ठोस और निर्णायक कदम है।